इन श्रमिकों के विश्राम के लिए कोई टेंट व्यवस्था तक नहीं है। ये श्रमिक छोटे मोटे पेड़ व झाडिय़ों के नीचे बैठकर विश्राम करने को मजबूर है। न पानी की व्यवस्था है। गर्मी में भी एक-दो मटके के सहारे ये 120 श्रमिक प्यास बुझाने को मजबूर है। फिर भी उच्चाधिकारियों के दबाव में कार्य करना पड़ता है। नाडी खुदाई कार्यों पर छोटे बच्चों के लिए झूले व श्रमिकों के लिए मेडिकल किट की सुविधा नहीं है। विकास अधिकारी, जेटीए व अन्य अधिकारी जानते हुए भी नरेगा श्रमिकों की इस समस्या की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे है।
इन्होंने कहा
तेज गर्मी में श्रमिक बिना किसी छाया के छोटे-मोटे पेड़ व झाडिय़ों के नीचे विश्राम करने को मजबूर है। न ही श्रमिकों के लिए कोई पानी की व्यवस्था है एक दो मटके के सहारे प्यास बुझाने को मजबूर है।
भल्लारामसियाग, नरेगा श्रमिक
गर्मी को ध्यान में रखते हुए हमने कुछ दिन पूर्व सभी ग्राम सेवकों को अस्थाई पानी व छाया व्यवस्था करने के लिए निर्देशित किया था लेकिन उसके बावजूद भी अव्यवस्थाओं का आलम है तो पता करके व्यवस्था की जाएगी।
-संजय गुप्ता, सहायक अभियंता पं स सेखाला