हर साल बारिश के मौसम में जिले की विभिन्न क्षेत्रों में मारे जाते हैं। विशेषज्ञ वन्यजीव चिकित्सकों का कहना है कि चिंकारे, ब्लेक बक, चीतल आदि वन्यजीवों में कैप्चर मायोपैथी एक प्रकार मानसिक ग्रंथी होती है जिसका कारण मानसिक भय होता है। इस ग्रंथी में वन्यजीव की मांसपेशी से मायोग्लोबीन नामक पिगमेन्ट रक्त में चला जाता है जिससे किडऩी खराब हो जाती है व अन्त में वन्यजीव की मौत हो जाती है। पिछले एक दशक से समूचे भारत में प्रतिवर्ष सर्वाधिक श्वानों के हमलों में चिंकारे.काले हरिण घायल होते है।
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2019-1141 2020-2253