यह अद्भुत नजारा शनिवार को कस्बे के जाटावास क्षेत्र में कालू खां व रहीम खां की पुत्रियों के निकाह के दौरान नजर आया। उनकी कामना पूरी हुई और बिना किसी विघ्न के कालू खां की पुत्री सईता ने फिरोज खां, रजिया ने नासिर खां व रहीम खां की पुत्री सलमा ने सिकंदर खां के साथ शनिवार को निकाह कबूल कर अपने विवाहित जीवन की शुरूआत की। परिवार व मेहमानों की मौजूदगी में स्थानीय मौलवी अब्दुल वाहिद ने मुस्लिम रीति रिवाज से निकाह पढ़ा।
विनायक व मिट्टी के बर्तन लाने वाली मुस्लिम महिलाओं की अगुवाई कर रही मदीना बानो व शकीना बानो ने बताया कि हिन्दुओं की तरह हम चंवरी नहीं मांडते निकाह कबूल किया जाता है लेकिन विनायक व कुम्हार के यहां से लाए गए कोरे मिट्टी के बर्तनों की ईष्ट देव के स्थान पर स्थापना हिन्दू रीति-रिवाजों की तरह ही हमने अपने यहां की है। बाद में नाई समाज की महिला ने निकाह से पहले हिन्दुओं की तरह दुल्हनों की पीठी भी की।
कालू खां व रहीम खां की तरह ही क्षेत्र के मुस्लिम तेली समुदाय के लोग निकाह से पहले हिन्दुओं की तरह रीति-रिवाज की परंपरा सदियों से निभा रहे हैं। इन मुस्लिम परिवारों में होने वाले निकाह के बाद दुल्हन की विदाई भी हिन्दुओं की तरह कच्ची मिट्टी के बर्तनो में भाते के साथ नारियल, गुड़, मिसरी एवं सिंघाडे़ देकर की जाती है।