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जोधपुर

मीराजी मारूफ तो हुए लेकिन मकबूल नहीं- शीन काफ निजाम

जोधपुर.मीराजी ( Meeraji ), उर्दू शाइरी के साथ मारूफ (लोकप्रिय) तो हुए, लेकिन मकबूल(स्वीकार्य) नहीं। यह उदगार अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शाइर और आलोचक शीन काफ निजाम ( Sheen Kaf Nizam ) ने कही। वे घूमर के बैंक्वेट हॉल में आयोजित साहित्य अकादमी दिल्ली ( Sahitya Akademi ) और राजस्थान उर्दू अकादमी जयपुर ( Rajasthan Urdu Academy ) की साझा मेजबानी में शनिवार को घूमर के बैंक्वेट हॉल में आयोजित मीराजी विषयक दो दिवसीय सेमिनार में अध्यक्षीय उदबोधन दे रहे थे।

जोधपुरOct 19, 2019 / 08:24 pm

M I Zahir

National seminar on Eminent urdu poet Meeraji in jodhpur

National seminar on Eminent urdu poet Meeraji in jodhpur

जोधपुर .हिन्दुस्तानी जबान के शाइर मीराजी की शाइरी का ताअल्लुक आर्यों से जाकर मिलता है जो कि जिन्स की जदलियात पर आधारित है जो संकल्प को प्राथमिकता देती है…., इस दौर में मीराजी ( Meeraji ), उर्दू शाइरी के साथ मारूफ (लोकप्रिय) तो हुए, लेकिन मकबूल(स्वीकार्य) नहीं। यह उदगार साहित्य अकादमी दिल्ली में उर्दू के कन्वीनर अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शाइर और आलोचक शीन काफ निजाम ( Sheen Kaf Nizam ) ने कही। वे घूमर के बैंक्वेट हॉल में आयोजित साहित्य अकादमी दिल्ली ( Sahitya Akademi ) और राजस्थान उर्दू अकादमी जयपुर ( Rajasthan Urdu Academy ) की साझा मेजबानी में शनिवार को घूमर के बैंक्वेट हॉल में आयोजित मीराजी विषयक दो दिवसीय सेमिनार में अध्यक्षीय उदबोधन दे रहे थे। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जर्नलिज़्म व मास कम्युनिकेशन के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर शाफे किदवाई ने बतौर मुख्य अतिथि कहा कि मीराजी ने उमर खय्याम की नज़्मों का तर्जुमा भी किया है। उदघाटन सत्र में साहित्य अकादमी के सहसम्पादक अजयकुमार शर्मा ने स्वागत उदबोधन दिया। संचालन शाइर शीन मीम हनीफ ने किया। मीराजी की अस्री मानवीयता मौजूदा दौर में विषयक प्रथम सत्र के अध्यक्ष अनीस अशफाक ने एहसास और तर्जुमे की तर्जुमानी करते हुए बताया कि शाइरी को समझने के लिऐ शख्सियत से बुनियाद नहंी बनाना चाहिए। पत्रवाचन में त्रेमासिक पत्रिका इस्तिफ्सार के सह संपादक आदिल रजा मन्सूरी ने कहा कि पाठक को कविता में रहते हुए ही अपना सच तलाश करना होता है। अबू बकर इबाद ने बताया कि मीराजी की शाइरी जितनी सतह पर दिखती है उससे कई ज़्यादा नीचे की तहों में मौजूद है और हक़्कानी अल कासमी ने इनकी शाइरी में इज्तिमाइयत का जिक्र किया। सत्र का संचालन इश्राकुल इस्लाम माहिर ने किया। वहीं पोस्ट लंच सेशन में अध्यक्ष मौलाबख्श ने मीराजी की शाइरी में विष्णु दर्शन, शास्य दर्शन और चार्वाक की याद दिलाने वाला बताया। अभिव्यक्त पत्रवाचन में शाहिद पठान ने पश्चिमी -पूर्वी मुल्की-गैर मुल्की के तन्कीदी हवाले पेश किये। अलाउद्दीन खान ने कहा कि मीराजी के गीत फिक्र की दावत देते हैं और मोहम्मद हुसैन ने इनकी शाइरी में जिन्स के विषय पर जज़्बात का हवाला दिया। इस सत्र का संचालन डॉ. निसार राही ने किया। रविवार को इस सेमिनार में महात्मा गांधी और उर्दू विषय पर पत्रवाचन के साथ कार्यक्रम का समापन होगा।

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