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जोधपुर

महिलाओं को सुरक्षित वातावरण देने की जरूरत

जोधपुर.आजकल महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं ( women are not safe anywhere ) । आने वाले समय में जब देश की अधिकतर आबादी शहरों में रहने लगेगी, तब पहले उनकी सुरक्षा होना चाहिए ( safe atmosphere for women ) । इसलिए हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही महिलाओं ( ladies ) को सुरक्षित वातवरण देना बहुत जरूरी है। सेफ्टीपिन और सेन्टर फॉर सोशल रिचर्स ( safetypin and center for social richers ) की साझा मेजबानी और द एशिया फाउण्डेशन की साझेदारी व कोरिया इंटरनेशनल को-ऑपरेशन के सहयोग से ( The Asia Foundation and Korea International Co-operation )मंगलवार को होटल ताज हरि महल में आयोजित परामर्श बैठक ( consultation meeting ) में यह स्वर मुखर हुआ।
 
 

जोधपुरAug 06, 2019 / 07:28 pm

M I Zahir

Need safe and secure atmosphere for women

Need safe and secure atmosphere for women

जोधपुर.अगले तीन दशकों में भारत की 60 प्रतिशत आबादी शहरों में रहने लगेगी। इसलिए देश में हर सार्वजिनक स्थान पर उनके लिए सुरक्षित माहौल बनाने की महती आवश्यकता है ( women safety )। इसके लिए सार्थक व प्रभावी रणनीति के तहत गंभीरता से काम करना होगा। सेफ्टीपिन और सेन्टर फॉर सोशल रिचर्स ( safetypin and center for social richers ) की साझा मेजबानी और द एशिया फाउण्डेशन की साझेदारी व कोरिया इंटरनेशनल को-ऑपरेशन के सहयोग से ( The Asia Foundation and Korea International Co-operation ) मंगलवार को होटल ताज हरि महल में आयोजित परामर्श बैठक ( consultation meeting ) में यह स्वर उभरा।
बैठक में द एशिया फाउंडेशन की भारत की प्रतिनिधि नंदिता बरुआ, सेंटर फॉर सोशल रिसर्च की निदेशक डॉ. रंजना कुमारी, सेफ्टीपिन की सीईओ और सह-संस्थापक डॉ. कल्पना विश्वनाथ उपस्थित थीं। इस अवसर पर इन संगठनों ने पुलिस को शामिल करते हुए सार्वजनिक स्थानों पर लैंगिक समानता के मुद्दे और जोधपुर में महिलाओं की सुरक्षा पर डेटा सृजित करने की रणनीति पर चर्चा की। सेंटर फॉर सोशल रिसर्च की निदेशक डॉ.रंजना कुमारी ने कहा कि हमारे शहरों को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाने की सख्त जरूरत है।द एशिया फाउंडेशन की भारत प्रतिनिधि नंदिता बरुआ ने कहा कि सार्वजनिक स्थलों को महिलाओं के लिए समान रूप से सुलभ बनाना आवश्यक है।सेफ्टीपिन की सीईओ और सह-संस्थापक डॉ. कल्पना विश्वनाथ ने कहा कि हमारे अध्ययन में पाया गया कि सर्वेक्षण में शामिल लगभग 95 प्रतिशत महिलाएं सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करते समय और 84 प्रतिशत महिलाएं सार्वजनिक परिवहन के लिए इंतजार करते वक्त अपने को असुरक्षित महसूस करती हैं।चर्चा में राजस्थान पुलिस ट्रेनिंग सेन्टर के डीआईजी डॉ. विष्णुकांत, जेडीए आयुक्त गौरव अग्रवाल, पुलिस उपायुक्त (जोधपुर वेस्ट) प्रीति चंद्रा, एआईआईएलएसजी के विनोद पालीवाल, संभली ट्रस्ट की श्यामा तंवर, ग्राविस की शशि त्यागी,मीरा संस्थान की आशा बोथरा व सुशीला बोहरा, जनचेतना की रिचा औदिच्य, एनएफआईडब्ल्यू की निशा सिद्धू, केएन गल्र्स कॉलेज की निदेशक डॉ. कैलाश कौशल व बीना भाटिया, पीजी महाविद्यालय की प्राचार्या मनोरमा उपाध्याय, वीसीडीके धर्मवीर ढड्ढा, साहित्यकार दिनेश सिंदल, डॅा.पद्मजा शर्मा व पूर्णिमा जायसवाल, संध्या शुक्ला, अरुणा मोदी, तमन्ना भाटिया व प्रेमलता राठौड़ आदि मौजूद थे।

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