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जोधपुर

राजस्थान में सालों से नहीं आई नई किस्म, इसलिए गुजरात के भरोसे हैं हमारे खेतों का जीरा

– सवाज़्धिक क्षेत्रफ ल व उत्पादन मारवाड़ में वषोज़्ं से विकसित नहीं हुई नई किस्म
– जोबनेर कृषि विवि में जीरा व अन्य मसालों का शोध केन्द्र

जोधपुरApr 18, 2019 / 09:49 pm

Amit Dave

jodhpur

राजस्थान में सालों से नहीं आई नई किस्म, इसलिए गुजरात के भरोसे हैं हमारे खेतों का जीरा

जोधपुर।

प्रदेश में पश्चिमी राजस्थान में सवाज़्धिक उत्पादन होने वाले मसाले में जीरा पड़ौसी राज्य गुजरात की मेहरबानी पर चल रहा है। यहां के करीब 99 प्रतिशत किसान जीरा बुवाई के लिए गुजरात की जीरे की जीसी-4 किस्म ही काम में ले रहे है। इसका बड़ा कारण यह भी है कि राजस्थान में सालों से जीरे की कोई नई किस्म विकसित ही नहीं की गई। खास बात यह है कि जिस क्षेत्र में सवाज़्धिक जीरा होता है वहां इसके लिए रिसजज़् सेंटर ही नहीं है। प्रदेश में जीरा का रिसचज़् सेंटर जोबनेर जयपुर की कणज़् नगेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय में है । किसान गुजरात की जीसी-4 किस्म को भी लंबे समय से काम में ले रहे है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, अगर नई विकसित किस्म काम में नहीं ली गई तो किसान भविष्य में इस किस्म से आशानुरूप परिणाम भी नहीं ले पाएंगे। जोबनेर कृषि विवि के अंतगज़्त आने वाले क्षेत्रों में जीरा का क्षेत्रफल व उत्पादन नगण्य है। क्षेत्रफल व उत्पादन की दृष्टि से मण्डोर स्थित कृषि विश्वविद्यालय प्रदेश में अव्वल है, जिसके क्षेत्राधिकार में सवाज़्धिक क्षेत्रफल व उत्पादन होता है।

लगातार घट रहा है उत्पादन

गुजरात में प्रति हैक्टेयर औसत 800-900 किलो जीरा उत्पादन होता है, जबकि राजस्थान में प्रति हैक्टेयर औसत 430-450 किलो उत्पादन हो रहा है। परिणामस्वरूप, जीरा की खेती करने वाले किसान गुजरात की तुलना में उत्पादन लेने में पिछड़ रहे है। इसके अलावा, जीरा के लिए सदिज़्यों में फल, फूल व बीज बनते है और इस फसल के लिए कोहरा, नमी, औंस नहीं होनी चाहिए। जबकि जोबनेर की जलवायु, मिट्टी, वातावरण इस फसल के लिए उपयुक्त नहीं है।
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वषज़् 1975 में स्थापित हुआ सेंटर

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से वषज़् 1975 में जोबनेर की कणज़् नगेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय समन्वित मसाला अनुसंधान परियोजना स्थापित की गई। जोबनेर कृषि विवि के अंतगज़्त जयपुर, अजमेर, टोंक, दौसा, धौलपुर, करौली, अलवर, सीकर आदि जिलें आते है। जोधपुर मण्डोर कृषि विवि के अंतगज़्त जोधपुर, नागौर, बाड़मेर, पाली व सिरोही-जालोर जिलें आ रहे है।

क्षेत्रफल से जाने हकीकत ( हैक्टेयर में )

विवि—– जीरा——– सौंफ—— मैथी—— धनिया—- कुल— हिस्सा प्रतिशत

जोधपुर– 442878— 38459— 32459—– 1043– 514839— 60.1

जोबनेर– 4375—— 3972—–12750——265— 21362—2.5

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कुल—- 500142—– 45195—- 129712—– 181712—— 856761

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जहां क्षेत्रफल व उत्पादन ज्यादा हो, वहां शोध केन्द्र होना चाहिए। ऐसे में शोध के लिए जारी आथिज़्क राशि का भी सदुपयोग होगा। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की बैठक में जोधपुर में जीरे का शोध केन्द्र स्थापित करने की सिफारिश भी का जा चुकी है।
रतनलाल डागा, सदस्य

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद

मारवाड़ में जीरा का सवाज़्धिक उत्पादन होता है। ऐसे में यहां अगर रिसचज़् सेंटर स्थापित होता है तो नई किस्में विकसित होगी, जो किसानों के लिए फायदेमंद रहेगी।
डॉ. एमएल मेहरिया, प्रिसिपल इन्वेस्टिगेट

रमण्डोर कृषि विवि

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