सरकार की नीतियों और कुनीतियों के इन तमाम झंझावतों को झेल रहे जोधपुर के सबसे महत्वपूर्ण जलाशयों में से एक गुलाब सागर को उसके मूल स्वरूप में पुनर्स्थापित करने का जिम्मा नगरनिगम का तो है ही, पर जोधपुर के वाशिंदे भी हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठे रह सकते। गुलाब राय पासवान का यह बेहद सुंदर सागर राजतंत्र में आमजन के महत्व की कहानी बयान करता है। तो फिर आज इस लोकशाही में सरकार और जनता क्यों अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं कर रही है? लिखते हुए भी लज्जा आती है कि जगह जगह बीयर की बोतलें पड़ी हैं। कचरे का ढेर अटा हुआ है। पानी में दुर्गंध आ रही है। अगर जनता अपना फर्ज भूल रही है तो शासन को कठोर कार्रवाई करनी चाहिए। अगर पुलिस नफरी की कमी है तो कम से कम इसके बेहतर रख रखाव के लिए होमगार्ड़ के जवान नियुक्त कर दिए जाएं। सीसी टीवी कैमरे लगाए जाएं। अगर गुलाब सागर का खोया हुआ वैभव लौटता है तो निश्चित रूप से यह इस शहर के पयर्टन और रोजगार के क्षेत्र को नया मुकाम देगा।
पैसे से गुलाब सागर को एक बार तो सुधारा जा सकता है पर उसकी खुशबू हमेशा बरकरार रहे, इसका जिम्मा स्थानीय जन प्रतिनिधियों और नागरिकों का ही है। सरकारी एजेंसियां जो भी प्लान बनाए उसमें जनता की भागीदारी सुनिश्चत हो। इसके लिए निगम को संवाद स्थापित करना होगा तभी जा कर कोई ठोस हल निकलेगा। इस सागर में सुझावों की सरिता बहेगी, तभी इसके जीर्णोद्धार का सही खाका तैयार होगा। जन सुझावों से ही डीपीआर तैयार हो। फिर इसके संरक्षण और विकास के लिए जनसमिति बनाएं। जिसमें उसके अधिकारी, विषय विशेषज्ञ और स्थानीय वाशिंदे हों। इन्हीं की देखरेख में सारा कार्य हो।