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जोधपुर

आधुनिक संस्कृत कविता की एक नई आवाज नितेश व्यास

जोधपुर.देववाणी संस्कृत ( sanskrit news ) में अछूते व नूतन विषय पर कविता करने वाले युवा आधुनिक कवि ( modern poet ) हैं नितेश व्यास ( Nitesh Vyas ) । उनकी कविता की शब्दावली ( terminology ) सहसा ही साहित्यकारों और साहित्य प्रेमी लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचती है। प्रस्तुत है उनसे बातचीत ( interview ) के अंश :
 

जोधपुरOct 09, 2019 / 08:51 pm

M I Zahir

Nitesh Vyas, a new voice of modern Sanskrit poetry

Nitesh Vyas, a new voice of modern Sanskrit poetry

एम आई जाहिर/ जोधपुर. संस्कृत ( Sanskrit poetry ) के एक चर्चित युवा कवि हैं नितेश व्यास। वे देववाणी संस्कृत के अलावा राष्ट्रभाषा हिन्दी में भी कविता कर कमाल कर रहे हैं। उन्होंने अपने खूबसूरत लेखन से सुधि पाठकों और कवि सम्मेलनों में श्रोताओं का भी अपनी ओर ध्यान आकृष्ट किया है। वे आधुनिक संस्कृत कविता ( modern poet ) की एक नई आवाज हैं। मृगी, गृहवधू- कार्यालयीय वधू और कृषक: कर्षति मम हृदयम् आदि कविताओं ने संस्कृत जगत् ( sanskrit news ) का ध्यान उनकी ओर आकर्षित किया है। उन्होंने शुक्ल यजुर्वेदीय कर्मकाण्ड पर विशेष अध्ययन किया है। डॉ.नितेश व्यास की कविता वर्तमान युग बोध रेखांकित करती है। साधारण जनता की पीड़ा का संज्ञान कवि ही ले सकता है और इनकी कविता सरल, सुबोध व भावप्रधान है। संस्कृत में वैदर्भी रीति का निदर्शन ( terminology ) इनकी कविताओं में प्राप्त होता है। उनकी वैदिक साहित्य व विश्व साहित्य में भी रुचि है। पेश हैं उनसे बातचीत ( interview ) के संपादित अंश:
कविता मेरे लिए एक चैतनिक स्पन्दन

उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि कविता मेरे लिए एक चैतनिक स्पन्दन है। जैसे शरीर की सिहरन। जब भी कविता पढ़ता हूं तो उसकी बिम्ब नौका मुझे किसी अज्ञात की ओर ले जाती है। कविता मेरे लिए एक बुलावा,एक निमन्त्रण होती है,जिसे मुक्तिबोध ने पुकारती हुई पुकार कहा है, जहाँ तक मेरे कविता-लेखन का प्रश्न है, वहां मैं अपनी कविता की कुछ पक्तियां प्रस्तुत करना चाहूंगा। जिसका शीर्षक है -तुम भी लिखो ना :
तुम भी लिखो ना
कि तुम्हारे लिखे बिना नहीं होगा यह महाकाव्य पूरा।
मत करो प्रतीक्षा किसी क्रौंच के फिर से मारे जाने की
तुम हो ,तुम लिख दो

नये सन्दर्भों में सोचने के लिए विवश किया
डॉ. नितेश व्यास ने कहा कि मेरा रुझान हिन्दी कविता के प्रति तो शुरू से ही था। जब संस्कृत में बी.ए.कर रहा था तो हमारी आचार्य प्रो.सरोज कौशल के माध्यम से मुझे प्रो. राधावल्लभ त्रिपाठी, डा.हर्षदेव माधव व डा.प्रवीण पण्ड्या आदि आधुनिक संस्कृत कवियों की कविताएं पढऩे का सौभाग्य मिला, जिनकी शैली ऐसी थी जिसमें पुरातन का समावेश कर नूतन अभिव्यंजना को संस्कृत कविता में नये बिम्बों के साथ प्रस्तुत किया गया। किसान की पीड़ा, भारतीय गृहिणी की बदलती तस्वीर और पौराणिक आख्यानों का आधुनिक सन्दर्भ में प्रयोग आदि ऐसे विषय रहे जिन्होंने मेरी संस्कृत के प्रति रूढि़वादी मानसिकता ध्वस्त की और नये सन्दर्भों में सोचने के लिए विवश किया।

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