राजस्थान के कई शहरों में स्वाइन फ्लू से मरीजों की मौतें हो रही है। अकेले
जोधपुर में पिछले 6 दिनों में 5 मरीजों की स्वाइन फ्लू से मौत हो चुकी है। जबकि अब तक संभागभर से 117 मरीजों में स्वाइन फ्लू पॉजिटिव की पुष्टि हुई है। जोधपुर एम्स में स्वाइन फ्लू के इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है। क्योंकि सरकार की ओर से एम्स जोधपुर, एम्स पटना, एम्स ऋषिकेश, एम्स भोपाल, एम्स
रायपुर , एम्स भुवनेश्वर सहित सभी नए 6 एम्स केंद्र सरकार की ओर से डेजिग्नेटेड स्वाइन फ्लू सेंटर की श्रेणी में नहीं आते हैं। इसलिए यहां आइसोलेशन वार्ड की सुविधाएं विकसित नहीं की गई है।
3 आईसीयू, 18 वेंटिलेटर लेकिन सभी कॉमन हालांकि एम्स में 3 आईसीयू में कुल 18 वेंटिलेटर है। लेकिन ये सभी मरीजों के लिए कॉमन है। स्वाइन फ्लू के मरीज के इलाज के लिए अलग से वार्ड और आईसीयू का होना जरूरी है ताकि दूसरे मरीज को उसका इंफेक्शन न हो। ये व्यवस्था एम्स में नहीं है।
स्वाइन फ्लू के मरीज को करते हैं रैफर एम्स जोधपुर को डेजिग्नेटेड स्वाइन फ्लू सेंटर नहीं बनाया है। इसको लेकर अभी
काम चल रहा है। जिसमें कुछ समय लगेगा। यहां भर्ती मरीज के स्वाइन फ्लू पॉजिटिव आने पर दूसरे अस्पताल में रैफर किया जाता है जहां उसका सही इलाज हो सके। – डॉ. अरविन्द सिन्हा, अस्पताल अधीक्षक, एम्स जोधपुर।
संसद में उठाएंगे सवाल 15 दिसंबर को शुरू हो रहे संसद के अगले सत्र में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के समक्ष एम्स जोधपुर को लेकर सवाल उठाऊंगा। राज्य में एकमात्र एम्स में स्वाइन फ्लू के मरीजों के इलाज की सुविधा नहीं होना गंभीर बात है। – नरेंद्र बुढानिया, सांसद (कांग्रेस), राज्यसभा और सदस्य, एम्स गवर्निंग बॉडी।