विशिष्ट न्यायाधीश पूरण कुमार शर्मा ने अपने आदेश में कहा कि विनिवेश मंत्रालय के तत्कालीन मंत्री अरुण शौरी, तत्कालीन सचिव प्रदीप बेंजिल, मैसर्स लर्जाड इंडिया लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर आशीष गुहा, कांतिलाल कर्मसे विक्रमसे तथा भारत होटल की निदेशक ज्योत्सना शूरी के खिलाफ प्रथम दृष्टया भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी, 420 तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1)डी का अपराध बनना पाया जाता है। उन्होंने फौजदारी प्रकरण दर्ज करने सहित सभी आरोपियों को गिरफ्तारी वारंट से तलब करने के निर्देश दिए। सीबीआई ने एक सूचना के आधार पर 13 अगस्त, 2014 को एफआईआर दर्ज की थी, लेकिन जांच के बाद पिछले साल क्लोजर रिपोर्ट पेश कर दी थी। अदालत ने 13 अगस्त, 2019 को मामला अग्रिम जांच के लिए दुबारा सीबीआई को भेज दिया था, लेकिन सीबीआई ने पुराने तथ्यों को दोहराते हुए क्लोजर रिपोर्ट पेश कर दी और कहा कि पर्याप्त साक्ष्य नहीं होने से अभियोजन नहीं चलाया जा सकता। इसे गंभीरता से लेते हुए कोर्ट ने कहा कि जिन तथ्यों के आधार पर सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट पेश की है, वे मानने योग्य नहीं है। सीबीआई ने जांच के दौरान भूमि की डीएलसी दर प्राप्त की थी, जो 500 से 1000 रुपए के मध्य थी। इस दर के हिसाब से भूमि की कीमत करीब डेढ़ सौ करोड़ रुपए होना साबित होता है। सरकार के अधिकारियों ने कीमत को नजरअंदाज कर जिस कीमत पर इस होटल को बेचने का निर्णय लिया, उससे यही प्रतीत होता है कि वे सभी भारत होटल लिमिटेड को मनमानी दर पर बेचने पर आमादा थे। नतीजतन करीब 244 करोड़ रुपए की सदोष हानि हुई।
होटल को कुर्क किया
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अपराध से अर्जित संपत्ति मैसर्स लक्ष्मी विलास पैलेस, जिसका वर्तमान नाम दी ललित लक्ष्मी विलास पैलेस है, को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 18 क के तत कुर्क किया जाना चाहिए। कोर्ट ने होटल को कुर्क करते हुए जिला कलक्टर को रिसीवर नियुक्त करने के आदेश दिए।