scriptमहलों व सिरे बाजार में नजर नहीं आएंगे ‘भोळावणी के रंग | Palaces and heads will not be seen in the market 'Bhojavani' colors | Patrika News
जोधपुर

महलों व सिरे बाजार में नजर नहीं आएंगे ‘भोळावणी के रंग

 
इस बार रामनवमी को बुधवार होने से 20 अप्रेल को ससुराल विदा होगी गवर

जोधपुरApr 17, 2021 / 10:48 am

Nandkishor Sharma

महलों व सिरे बाजार में नजर नहीं आएंगे 'भोळावणी  के रंग

महलों व सिरे बाजार में नजर नहीं आएंगे ‘भोळावणी के रंग

जोधपुर. मां पार्वती प्रतीक गणगौर माता के पीहर से ससुराल विदाई करने की रस्म ‘भोळावणीÓ पर्व पर लगातार दूसरे वर्ष भी कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण शहरवासियों को लोकसंस्कृति के रंग नजर नहीं आ सकेंगे। होली के दूसरे दिन से चैत्र शुक्ल तीज तक गवर माता पूजन के बाद से पीहर में प्रवास कर रही गवर माता की पुन : ससुराल विदाई जोधपुर में ‘भोळावणीÓ के रूप में धूमधाम से की जाती है। इस दिन मेहरानगढ़ बाड़ी के महल में घूमर नृत्य, गणगौर गीत गायन के साथ गणगौर प्रतिमा को गाजे-बाजों के साथ रानीसर तालाब तक खासे में विराजित कर जल अर्पण के लिए लाया जाता है। गवर ‘भोळावणीÓ पर्व की शाम को सिरे बाजार फगड़ा घुड़ला शोभायात्रा में मस्ती, उल्लास के बीच अध्यात्म व लोकसंस्कृति के रंग इस बार भी शहरवासियों को नजर नहीं आ सकेंगे। फगड़ा घुड़ला कमेटी जोधपुर के सचिव रमेश गांधी ने बताया कि शीतलाष्टमी को घुड़ला लाने के बाद अब कोविड-19 गाइडलाइन पालना के साथ सादगीपूर्वक तुंवरजी के झालरे में घुड़ला विसर्जित किया जाएगा। इस बार फगड़ा घुड़ला शोभायात्रा पहले ही स्थगित की जा चुकी है। आडा बाजार कुम्हारिया गणगौर कमेटी की ओर से ‘भोळावणीÓ 20 अप्रेल को होगी। गणगौर कमेटी के सचिव महेश मंत्री ने बताया कुम्हारियां कुआं बैजनाथ महादेव मंदिर में गवर प्रतिमा को दर्शनार्थ रखा गया है। भोळावणी के दिन गवर को मंदिर से कुम्हारियां कुआं पर जल अर्पण के लिए ले जाया जाएगा।
नहीं गूंजेंगे गणगौर उत्सव के गीत
मेहरानगढ़ दुर्ग स्थित बाड़ी के महलों में प्रत्येक चैत्र शुक्ल तीज के दिन गणगौर-पूजन के बाद ‘भोळावणीÓ तक लड्डू के थाल,जल, भोग, दातुन, इत्यादि माताजी को अर्पण किए जाते हैं । गवर भोळावणी के दिन बाड़ी के महलों के मकराने के चबूतरे पर बिछायत करके खासे में माताजी को दर्शनार्थ रखा जाता है। वहां परिक्रमा और गणगौर उत्सव के गीत भी गाए जाते हैं । पूर्व राजपरिवार की सुहागिन महिलाओं की ओर से पूजन के बाद राजगणगौर को खासे में विराजित कर जलअर्पण के लिए रानीसर जलाशय विदा किया जाता है । तालाब के पठ्ठे पर गणगौर माताजी को जल अर्पण , भोग चढ़ाया जाता है। कोविड गाइड लाइन के कारण गवर माता गढ़ में ही रहेगी।

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