जिन्होंने करीब तीन माह पहले रातानाडा क्षेत्र में रेलवे स्टेशन के पिछले हिस्से में गेट संख्या दो के निकट रेलवे की इजाजत के बाद 800 पौधे रोपित किए। लेकिन लॉक डाउन होने पर पौधों की सार संभाल के रखा बागवान चला गया। ऐसे में पौधे मुरझाने लगे तो नरेश सुराणा ने खुद पौधों की देखभाल की जिम्मेदारी संभाली। वर्तमान में यहां 650 से अधिक पौधे पनप रहे है।
दो से तीन घंटे देखभाल
सुराणा ने बताया कि वह सुबह सात बजे यहां पहुंच जाते हैं। पौधों को पानी देने सहित गडड्े को गहरा करने, सफाई करने का काम करते हैं। करीब एक ट्रोली से ज्यादा कचरा एकत्रित भी किया। उन्होंने बताया कि उनका लक्ष्य है कि इन पौधों को पेड़ बनता देखना। इसलिए वे रोजाना यहां करीब दो से तीन घंटे पौधों को पानी देने व सफाई कार्य करते है। इससे मन को सकून मिलता है।