पहले एक माह में बिकते थे ५ से १० डिब्बे प्रदेश में गत कई वर्षों से डेंगू-चिकनगुनिया के मामले ज्यादा आ रहे है। एेसे में इन दिनों पीवी ( प्लास्मोडियम विवैक्स) और प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम मलेरिया के मामले नहीं आ रहे है। एेसे में बाजारों में ये दवा बहुत कम मात्रा में स्टॉक की जाती है। एक हिसाब से प्रतिमाह ये दवा ५ से १० डिब्बे ही मुख्य मेडिकल स्टोर पर बिकते। जबकि मार्च माह के पहले पखवाड़े तक इसको मांगने वालों की बाजार में होड़ मच गई। इन दिनों ये दवा बाजार में आई नहीं है। जोधपुर केमिस्ट एसोएिशन के अध्यक्ष ओपी खंडेलवाल का कहना है कि ट्रांसपोर्ट के चक्कर में माल नहीं आ रहा है। जानकारी अनुसार अमरीका राष्ट्रपति ट्रंप के एक बयान के बाद इसकी डिमांड बाजार में बढ़ी है।
आम पब्लिक नहीं ले दवा
क्लोरोक्विन बेहद लिमिटेड दवा होती है। मलेरिया में इसका उपयोग होता है। जबकि मलेरिया अभी इतना है नहीं। इसका बेमतलब उपयोग लीवर व ह्रदय पर असर डालता है। एक उम्र के बाद ह्रदय रोगी को ये दवा नहीं दे सकते। ये दवा आमजन के लिए नहीं है। कोरोना वायरस वार्डों में ड्यूटी पर तैनात मेडिकल स्टाफ है, ये दवा सिर्फ उनके लिए है।
-डॉ. नवीन किशोरिया, सीनियर प्रोफेसर, मेडिसिन, डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज