कागजों में सिमटी भू-गर्भ को रिचार्ज करने की योजनाएं नलकूप आधारित कृषि क्षेत्र बढने के बाद भू-गर्भ का पानी तेजी से कम हुआ है, जिसके बाद पश्चिमी राजस्थान के कईं क्षेत्र ग्रीन बेल्ट व ईको सेंसेटिव क्षेत्र घोषित किये गये, जिससे नए नलकूप कनेक्शन पर पाबंदी लगाई गई और यहां भू-गर्भ को रिचार्ज करने की योजनाएं बनाई गई। जिससे गांवों व खेतों में बारिश का पानी संग्रहित किया जा सके। इन योजनाओं में खेतों में कृत्रिम बांध बनाने, वॉटर पॉण्ड बनाने की योजनाएं सर्वाधिक प्रासंगिक रही, लेकिन यह योजनाएं कागजी पुलिंदा बनकर रह गई। जिससे भू-गर्म रिचार्ज नहीं हो सका।
नीर व्यर्थ बहाना मजबूरी फलोदी शहर के नदीक्षेत्र, उम्मेदपुरा, शिवपुरी, सरस्वती आश्रम, भैय्या नदी, बंधा क्षेत्र, रघूनाथपुरा, लटियालपुरा, मधूजी की बैरी, धोलाबाला सहित आधे से अधिक शहरी क्षेत्र में पानी उच्च स्तर पर है। जिसके कारण मकानों के निचले तलों में पानी भर रहा है, जिसे बाहर निकालने के लिए कईं क्षेत्रों में प्रतिदिन पांच से दस घंटे तक दो से पांच हॉर्स पॉवर की मशीनें लगा पानी को व्यर्थ बहाया जा रहा है।
भूजल प्राधिकरण का किया है गठन प्रदेश सरकार ने इस साल भूजल को संरक्षित व सवंर्धित करने के लिए इस बजट में भूजल संरक्षण एवं प्रबंधन प्राधिकरण का गठन किया है। भूजल प्रबंधन के लिए यह एक अच्छी पहल है। पूरे प्रदेश में इससे भूजल प्रबंधन बेहतर बनाने की योजना है। यह येाजना सफल होती है तो कृषि व उद्योगों को निर्धारित मापदंडों पर पानी उपलब्ध हो सकेगा।
– प्रकाश छंगाणी, भूजल वैज्ञानिक बाहर निकाल रहे पानी हमारे मोहल्ले के मकानों के भूतल में जमीन से पानी निकल रहा है। जिससे घरों की नींव कमजोर होने से हमारा रहवास संकट में है। सभी मोहल्लेवासियों ने मोहल्ले में बने पुराने कुंओं से पानी की मशीन लगाकर पानी निकालना शुरू किया है। नगरपालिका ने पानी बहाने के लिए मोटर उपलब्ध करवाई है।
-कंवरलाल बोहरा, सामाजिक कार्यकर्ता