पूर्व मुख्यमंत्री राजे ने सरकार के सिर फोड़ा जसोल हादसे का ठीकरा, कहा बड़ी चूक है यह पुलिस उपायुक्त धर्मेन्द्रसिंह का कहना है कि पुलिस का कार्य कानून-व्यवस्था, सुरक्षा मुहैया कराना और हादसों की रोकथाम करना है। मेले व धार्मिक स्थल पर डोम, पण्डाल या झूलों में क्या कमी है और सुरक्षा के पैमाने पर कितने खरे हैं, इस बारे में विशेषज्ञ की राय अहम है। ये विशेषज्ञ इंजीनियर हो सकते हैं। इनकी राय मिलने के बाद ही पुलिस की तरफ से जारी होने वाली अनुमति मान्य रहेगी।
पंडाल की व्यवस्था न पुलिस देखती है ना प्रशासन, हादसा हुआ तो जिम्मेदारी आयोजक की! अनुमति देते वक्त अब तक ये देखती थी पुलिस – आयोजन स्थल कितना बड़ा है और वहां कितनी भीड़ जुटेगी?– भीड़ को देखते हुए आयोजन स्थल कितना सुरक्षित है? किसी प्रकार की अप्रिय घटना तो नहीं होगी?– धार्मिक आयोजन में कोई भी एेसी टिप्पणी या भाषण न हो जिससे भाईचारे को खतरा उत्पन्न हो या कानून व्यवस्था बाधित हो।– आयोजन स्थल व भीड़ को देखकर पुलिस सुरक्षा इंतजाम।– आयोजन स्थल पर पार्र्किंग की व्यवस्था और वाहनों के आने-जाने की व्यवस्था।– माइक या लाउड स्पीकर से आस-पास के लोगों को परेशानी या खलल न हों।– माइक या लाउड स्पीकर निर्धारित डेसिबल में सुबह आठ से रात दस बजे तक ही बजाए जा सकेंगे।
WATCH : राम कथा में खुशी से झूम रहे थे श्रद्धालु, अचानक आए तूफान पर कथावाचक ने कहा भागो अब इन बिंदुओं को जोड़ा जाएगा – कोई भी धार्मिक कार्यक्रम अथवा मेला जिस जगह आयोजित हो रहा है उसके मालिकाना हक वाले विभाग से एनओसी ली जाती है। जिसमें नगर निगम, जेडीए, पंचायत अथवा अन्य सरकारी विभाग हो सकते हैं। चूंकि इन कार्यक्रमों से इन विभागों को बतौर किराया राजस्व मिलता है इसलिए संबंधित विभाग के विशेषज्ञ इंजीनियर डोम, पण्डाल या शामियाने और वहां लगने वाले झूलों के बारे में एक्सपर्ट ऑपिनियन देंगे।
– आयोजन स्थल पर बिजली कनेक्शन भी जारी होता है इसलिए डिस्कॉम की टिप्पणी भी आवश्यक होगी।
जसोल हादसे के घायलों का हाल जानने जोधपुर पहुंचे सीएम अशोक गहलोत, घटनास्थल का कर चुके हैं दौरा वीवीआइपी सभा : कई विभागों की जांच के बाद एसपीजी देती है स्वीकृति प्रधानमंत्री अथवा किसी अन्य वीवीआइपी की सभा से पहले हर एक बिन्दु की कड़ी सुरक्षा जांच होती है। पण्डाल व स्टेज की सुरक्षा पीडब्ल्यूडी के जिम्मे होती है। वहीं, डिस्कॉम, नगर निगम व अन्य सभी विभागों की जांच रिपोर्ट के बाद ही प्रधानमंत्री की सुरक्षा एजेंसी एसपीजी सभा की अंतिम स्वीकृति देती है।
घरवालों को कहा, तूफान आ रहा है…फोन रखता हूं…और कुछ सैकेण्ड में आई मौत की खबर इधर निगम ने कहा-सेफ्टी के लिहाज से इंजीनियर की राय परफैक्ट नहीं इधर, नगर निगम आयुक्त सुरेश कुमार ओला ने कहा, फायर सेफ्टी सिस्टम नगर निगम देख सकता है। इसके अलावा सुरक्षा के अन्य मानकों के लिए जिनके पास मजिस्ट्रेट पॉवर हैं, उन्हें ही देखना पड़ेगा। मैदान की सुविधा आदि हम देख लेंगे। इंजीनियर्स सुरक्षा मानकों को देखने के लिहाज से परफैक्ट नहीं हो सकते।