मातामह श्राद्ध 17 अक्टूबर को
आश्विन (आसोज ) कृष्ण पक्ष को श्राद्ध पक्ष कहते है । इसमें दिवंगत आत्माओं को उनके स्वर्गवास की तिथी को उनका श्राद्ध निमित्त तर्पण आदि करते है । यहां अपराह्न के समय मृत्यु तिथी हो , उस दिन संबंधित दिवंगत पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है। सन्यासियों का श्राद्ध द्वादशी को करते हैं व यान दुघर्टना , विष शस्त्रादि से अपमृत्यु प्राप्त वालों का श्राद्ध चतुर्दशी को करते हैं । अमावस्या को सर्व पितृ और मातामह ( नाना ) मातामही ( नानी ) का श्राद्ध आश्विन शुक्ल प्रतिप्रदा( नवरात्री) के दिन करते है । इस बार बीच में अधिक मास ( पुरुषोत्तम मास ) आने से मातामह श्राद्ध 17 अक्टूबर को हो सकेगा । अधिक मास के कारण इस साल श्राद्ध समाप्ति के अगले दिन से नवरात्रि पूजा शुरू नहीं होगी।
आश्विन (आसोज ) कृष्ण पक्ष को श्राद्ध पक्ष कहते है । इसमें दिवंगत आत्माओं को उनके स्वर्गवास की तिथी को उनका श्राद्ध निमित्त तर्पण आदि करते है । यहां अपराह्न के समय मृत्यु तिथी हो , उस दिन संबंधित दिवंगत पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है। सन्यासियों का श्राद्ध द्वादशी को करते हैं व यान दुघर्टना , विष शस्त्रादि से अपमृत्यु प्राप्त वालों का श्राद्ध चतुर्दशी को करते हैं । अमावस्या को सर्व पितृ और मातामह ( नाना ) मातामही ( नानी ) का श्राद्ध आश्विन शुक्ल प्रतिप्रदा( नवरात्री) के दिन करते है । इस बार बीच में अधिक मास ( पुरुषोत्तम मास ) आने से मातामह श्राद्ध 17 अक्टूबर को हो सकेगा । अधिक मास के कारण इस साल श्राद्ध समाप्ति के अगले दिन से नवरात्रि पूजा शुरू नहीं होगी।