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जोधपुर

महाराष्ट्र व भारत सरकार के मॉडल अनुसार होगा स्वाइन फ्लू का उपचार, मौसमी बीमारियों से मौत पर सरकार सख्त

राज्य सरकार का मानना है कि स्वाइन फ्लू से अब तक मरने वाले सभी हाइ रिस्क श्रेणी के थे। जिनमें से ज्यादातर की मौत की वजह भी अन्य बीमारी रही। ये निर्णय गत बुधवार को चिकित्सा मंत्री के साथ ली गई मीटिंग में हुए।

जोधपुरJul 14, 2019 / 01:14 pm

Harshwardhan bhati

National child health Programme

महाराष्ट्र व भारत सरकार के मॉडल अनुसार होगा स्वाइन फ्लू का उपचार, मौसमी बीमारियों से मौत पर सरकार सख्त

अभिषेक बिस्सा/जोधपुर. बदलते मौसम में डेंगू, चिकनगुनिया व स्वाइन फ्लू से होने वाली मौतों में अब सरकार केवल एक बीमारी या महामारी को कतई कारण नहीं मानेगी, इसके लिए राज्य सरकार की ओर से निदेशक जन स्वास्थ्य की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की जाएगी। जो ये तय करेगी मरीज की मौत का मुख्य कारण मौसमी बीमारी रही या फिर कोई अन्य कारण भी था। इसमें हृदय, कैंसर, डायबिटीज, अस्थमा व गर्भावस्था सहित अन्य कारण जांचें जाएंगे।
राज्य सरकार का मानना है कि स्वाइन फ्लू से अब तक मरने वाले सभी हाइ रिस्क श्रेणी के थे। जिनमें से ज्यादातर की मौत की वजह भी अन्य बीमारी रही। ये निर्णय गत बुधवार को चिकित्सा मंत्री के साथ ली गई मीटिंग में हुए। इस मीटिंग में स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों को स्वाइन फ्लू उपचार भारत सरकार व महाराष्ट्र के मॉडल अनुसार करने के लिए कहा गया।
आयुष विभाग लेगा बेसिक इमरजेंसी का प्रशिक्षण

चिकित्सा मंत्री ने आयुष विभाग को इमरजेंसी के दौरान आवश्यक प्रशिक्षण देने के निर्देश दिए हैं। साथ ही आयुष के चिकित्सक मौसमी बीमारियों में भी सहयोग करेंगे। आयुष विभाग रक्त पट्टिका भी अपने अस्पतालों में लेगा। आवश्यक सामग्री भी आसपास के संबंधित अस्पतालों से प्राप्त करेगा। आयुष चिकित्सकों को बेसिक केयर, इमरजेंसी केयर व डिलीवरी केसेज भी देखेंगे। संयुक्त निदेशक अपने-अपने क्षेत्रों में चिकित्सकों को वेंटिलेटर का प्रशिक्षण भी दिलवाएंगे।
महाराष्ट्र व भारत सरकार के मॉडल को अपनाकर होगा स्वाइन फ्लू उपचार
प्रदेश में अब महाराष्ट्र के मॉडल को अपनाकर स्वाइन फ्लू पर नियंत्रण पाया जाएगा। जबकि पूर्व में महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा केस पॉजिटिव आते थे, साल 2015, 2017 व 2018 महाराष्ट्र में सर्वाधिक स्वाइन फ्लू के केस आए थे। वहीं अब महाराष्ट्र का स्क्रीनिंग नहीं बल्कि मॉनिटरिंग सिस्टम अन्य राज्यों की तुलना में सबसे बेस्ट माना जाता है। क्योंकि अस्पताल में आने वाले मरीजों का पहले जिस बीमारी से पीडि़त है,, उसका भी पूरा ब्यौरा रख उपचार किया जाता है। अस्पतालों में संक्रमण रोकने के पुख्ता इंतजाम रहते है। डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. एसएस राठौड़ का कहना है कि इस मामले में मार्गदर्शन आया है। जिसका गहनता से अध्ययन किया जाएगा।

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