सांसद – पंजाब से प्रदूषित पानी छोड़ा जा रहा है। दस जिले प्रभावित होते हैं तो पश्चिमी राजस्थान में कैंसर फैलने का खतरा है। जोधपुर में केनाल के उद्गम स्थल, इसके बाद अंतिम पम्प हाउस और फिर तख्तसागर-कायलाना में अलग-अलग सैम्पलिंग होनी चाहिए। पंजाब सरकार पर दबाव बनाया जाए कि वह प्रदूषित पानी रोके। बोतल में लाए सैम्पल की हम खुद जांच करवाएंगे।
– हरिके बैराज में छोड़ा गया पानी काफी दूषित है। पंजाब की औद्योगिक इकाइयों का केमिकल युक्त पानी और सीवरेज का गंदा पानी मिलने से पानी जहरीला हो रहा है। पंजाब में प्रवेश से पहले सतलुज नदी का पानी ‘बी’ श्रेणी का होता है जो दूषित होते हुए भी पीने योग्य है, लेकिन पंजाब में प्रवेश के बाद केमिकल युक्त और सीवरेज का पानी मिलने से यह ‘ई’ श्रेणी का हो जाता है, जो पीने के लिए अनुपयोगी होने के साथ स्वास्थ्य के लिए भी काफी हानिकारक है। राजनीतिक दूरदर्शिता के चलते इस मामले में पूरी तरह उदासीन राज्य सरकार पंजाब पर उचित दबाव नहीं बना पा रही है।
नहरबंदी के बाद श्रीगंगानर व हनुमानगढ़ के कुछ क्षेत्रों में प्रदूषित पानी आया था। इससे प्रदेश के सभी १० जिले जहां नहर का पानी जाता है, वहां अलर्ट जारी हुआ। ७५ सौ गांवों पर खतरा मंडराया। प्रदूषित पानी के कारण पहले भी पंजाब सरकार पर एनजीटी ५० करोड़ का जुर्माना लगा चुकी है, लेकिन बीकानेर के आगे प्रदूषित पानी की सरकारी स्तर पर पुष्टि नहीं हुई है। अब यदि स्वतंत्र जांच होती है तो उसमें भी खुलासा हो जाएगा।