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पाली

57 गांव पी रहे फ्लोराइडयुक्त पानी फिर भी जवाई योजना को नहीं मिल रही स्वीकृति

वर्ष 2015 में बनी थी 212 गांवों में जवाई का पानी देने की योजना प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति दोनों नहीं मिली

पालीJan 23, 2018 / 01:09 pm

Rajeev

पाली. जवाई के सबसे नजदीक व अरावली की वादियों के पास बसे 57 गांव ऐसे हैं, जहां सर्दी में तो पेयजल की कोई परेशानी नहीं होती है, लेकिन गर्मी आने पर क्षेत्रवासी फ्लोराइड व नाइट्रेट की अधिक मात्रा का पानी पीने को मजबूर हो जाते हैं। इन गांवों तक जवाई बांध का पानी पहुंचाने के लिए जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग ने योजना बनाई। इसमें क्षेत्र के 212 गांवों को शामिल किया। प्रोजेक्ट में बार-बार सुधार किए। आज यह प्रोजेक्ट 487 करोड़ रुपए का हो चुका है। इस प्रोजेक्ट को अब तक तीन-चार बार उच्च अधिकारियों के पास भेजा जा चुका है, लेकिन अभी तक प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति नहीं मिल सकी है। विभाग ने 3 नवम्बर 2017 को भी इस प्रोजेक्ट की रिपोर्ट को अधिकारियों के सामने रखा था। हाल ही में तकनीकी अनुमोदन के लिए भी प्रोजेक्ट को अधिकारियों के समक्ष रखा गया था। इस पर उन्होंने कुछ सुझाव देकर फिर से इस रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। इसके आधार पर प्रोजेक्ट में सुधार कर जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अधिकारी फिर से प्रस्तुत करने की तैयारी कर रहे हैं।
5 लाख से अधिक लोगों को लाभ

इस योजना को स्वीकृति मिलने पर 212 गांवों के करीब 5 लाख 9 हजार 635 लोगों को लाभ होगा। हालांकि यह जनसंख्या वर्ष 2047 को ध्यान में रखकर बनाई गई है, लेकिन वर्तमान में भी कम से कम चार-साढ़े चार लाख लोगों को लाभ मिलेगा।
अतिरिक्त पानी की जरूरत नहीं

यह योजना स्वीकृत होने पर जवाई बांध पर अतिरिक्त बोझ भी नहीं आएगा। इस परियोजना में पानी जवाई बांध से पेयजल आपूर्ति की पाइप लाइन बिछाने के बाद जो पानी छीजत से बचा वही उपयोग में लिया जाएगा।
तकनीकी संशोधन कर रहे हैं

मुख्यालय पर तकनीकी रूप से कुछ संशोधन बताए गए हैं। इसके आधार पर योजना में बदलाव किया जा रहा है। इसके बाद तकनीकी अनुमोदन के लिए फिर पेश किया जाएगा। ताकि प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति मिलने का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा।
नक्षत्रसिंह चारण, अधीक्षण अभियंता, जवाई प्रोजेक्ट, पाली

57 गांवों में यह है क्षेत्र की समस्या

-पथरीला क्षेत्र होने के कारण फरवरी से जुलाई तक कुओं का पानी रीत जाता है।

-ग्राउण्ड वाटर लेवल नीचे होने से पानी की क्वालिटी खराब हो गई है।
-57 गांवों में फ्लोराइड, टीडीएस व नाइट्रेट की मात्रा अधिक है।

-कुछ गांवों में 1500-2200 तक है टीडीएस, जबकि मानक रूप से 1500 ही होना चाहिए।

-कुछ गांवों में 1.50 से 2.50 पीपीएम है, जबकि मानक रूप से 1.50 पीपीएम तक ही होनी चाहिए।
-कुछ गांवों में 60 से 90 पीपीएम है नाइट्रेट की मात्रा, जबकि 45 पीपीएम से अधिक नहीं होनी चाहिए।

इतने गांवों के लिए बनी योजना

77 गांव बाली क्षेत्र के

69 गांव देसूरी क्षेत्र के
66 गांव रानी क्षेत्र के

415 एमसीएफटी पानी की जरूरत होगी

(2047 की जनसंख्या के अनुसार)

योजना के तहत ये होंगे निर्माण

32.20 एमएलडी का एक फिल्टर प्लांट

76 पम्प मशीनरी स्टैण्ड बाई सहित
83 उच्च जलाशयों

11 स्वचछ जलाशयों

537.57 किमी की होगी मुख्य राइजिंग पाइप लाइन

10 पम्प हाउस बनेंगे

11 जगह बिजली कनेक्शन लेने होंगे

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