करीब पौने दस बजे एम्बुलेंस 108 पहुंची। उसमें छात्र को बैठाया गया लेकिन उसमें ऑक्सीजन ही नहीं थी। न सोने के लिए स्ट्रक्चर था। छात्र बैठे-बैठे ही बगैर ऑक्सीजन के महात्मा गांधी अस्पताल की इमरजेंसी पहुंचा, जहां डॉक्टरों ने उसको तुरंत ऑक्सीजन पर लेकर प्राथमिक दवाइयां दी। आयुष के शरीर में ऑक्सीजन जाने के १५ मिनट बाद ही वह सामान्य हो गया। उसका कोरोना जांच के लिए सैंपल लिया गया है और कोरोना रिपोर्ट आने के बाद ही उसे छुट्टी दी जाएगी।
विवि के शिक्षकों ने आयुष के घर भी सूचना दी थी। लाल सागर निवासी उसके मामा ललित सोनी अपने छोटे भाई के साथ ओल्ड कैंपस के लिए रवाना हुए। एम्बुलेंस से किसी अस्पताल ले जाने की सूचना पर वे एमडीएम अस्पताल की ओर मुड़े। रेजिडेंसी रोड के आगे जेएनवीयू मुख्य कार्यालय सर्किल के पास पुलिस ने तेज स्पीड से गाड़ी चलाने पर रोका। दोनों ने विवि में बात कराई लेकिन वे नहीं माने और सीट बेल्ट लगा होने के बावजूद सीट बेल्ट नहीं लगाने का चालान काट दिया। पुलिस वाले लॉकडाउन का कहकर उनको चेतावनी भी देने लग गए। ललित का कहना है कि पुलिस तो इमरजेंसी सर्विस भी नहीं समझ रही है। बगैर मतलब चालान काट दिया।