विश्वविद्यालय से संबद्ध एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज में त्रिवेंद्र पाल सिंह के नेतृत्व में एकत्रित स्टूडेंट्स ने कहा कि विश्वविद्यालय की सबसे बड़ी समस्या एकेडमिक कैलेंडर के अनुरूप संचालन नहीं होना है। हर साल एकेडमिक कैलेंडर तो बनता है लेकिन पालना नहीं होती। चाहे प्रवेश प्रक्रिया हो या परीक्षा आवेदन पत्र की तिथि या फिर परीक्षा परिणाम, हर जगह विश्वविद्यालय की लेटलतीफी के कारण छात्र-छात्राओं को नुकसान उठाना पड़ता है।
स्टूडेंट संजय पालीवाल, हर्षवर्धन सिंह, हनुमान सिंह, भूपेंद्र सिंह राठौड़ और नितेश जोशी ने शिक्षकों की कमी और बजट की समस्या बताई तो नगेंद्र सिंह और मधुकर पटेल के अनुसार विश्वविद्यालय में नियमित कक्षाएं भी नहीं लगती है, जिसका खामियाजा स्टूडेंट्स भुगतते हैं। सिद्धांत, विक्रम और राहुल माथुर को पीड़ा है कि एमबीएम कॉलेज का नाम पूरे देश में होने के बावजूद विश्वविद्यालय इस तरफ ध्यान नहीं देता है जिसके कारण पिछले समय में इसमें जीरो सेशन घोषित कर दिया गया था।
जेएनवीयू की सबसे बड़ी समस्या यह है कि विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों की समस्या पर गौर ही नहीं करता। इसलिए स्थाई निवारण कभी नहीं होता है। इसके अलावा विश्वविद्यालय में शिक्षकों की कमी और कक्षाएं नहीं लगने की समस्या हर समय रहती है। मेरे समय भी विज्ञान संकाय में बहुत ही कम कक्षाएं लगती थी।
– जयनारायण पूनिया, 2004-05, छात्रसंघ अध्यक्ष
मैंने अपने कार्यकाल में विश्वविद्यालय में एकेडमिक कैलेंडर की शुरुआत करवाई लेकिन उसे आज तक फॉलो नहीं किया गया। उस समय एकेडमिक कैलेंडर चुनावी मुद्दा बना था। विश्वविद्यालय में फंड का एक बड़ा मुद्दा है। विवि फंड का सदुपयोग नहीं कर पाता है, जिसके कारण समस्या हर साल जस की तस बनी रहती है।
महेंद्र जाखड़, 2013-14 छात्रसंघ अध्यक्ष
सबसे बड़ी समस्या तो यह है कि जेएनवीयू के समस्त कैंपस छात्र विहीन हो गए हैं। कक्षाओं में छात्र खुद ही नहीं आते। छात्र-छात्राओं में यह साइकोलॉजी हो गई है कि विश्वविद्यालय में एक बार प्रवेश ले लो और फिर साल के अंत में परीक्षा देने जाओ। पिछले कुछ साल से यही परिपाटी नजर आ रही है जबकि जयपुर स्थित राजस्थान विश्वविद्यालय सहित देश के अन्य विश्वविद्यालयों में सालभर कैंपस में छात्र-छात्राएं कक्षाओं में नजर आते हैं।
– आनंद सिंह, 2015-16 छात्रसंघ अध्यक्ष
विश्वविद्यालय में अजीब सी परिपाटी है। यहां हर चीज की डेट पर डेट बढ़ाते रहते हैं। विवि की प्रवेश प्रक्रिया जून में शुरू होने के बावजूद सितंबर तक चलती रहती है जिसके कारण कक्षाएं देरी से लगती है परीक्षाएं देरी से होती है और देरी से परीक्षा परिणाम जारी होते हैं। नतीजा यह रहता है कि डिग्री कोर्स के अंतिम वर्ष के छात्र छात्राएं अन्य विश्वविद्यालय या रोजगार के लिए आवेदन करने से कई बार वंचित रह जाते हैं। जेएनवीयू में भी प्रवेश प्रक्रिया, परीक्षा, रिजल्ट, पुनर्मूल्यांकन और दीक्षांत समारोह जैसे महत्वपूर्ण कार्यों की तिथि तय होनी चाहिए।
– कांता ग्वाला 2017-18, छात्रसंघ अध्यक्ष