शादियों की सीजन में ज्यादा खतरा इन दिनों सावों की सीजन में भी स्वाइन फ्लू रोग फैलने का खतरा बना रहता है। चिकित्सकों के अनुसार स्वाइन फ्लू के मरीज के महज छिंकने मात्र से मौजूद सैकड़ों लोगों में स्वाइन फ्लू का वायरस शरीर में प्रवेश कर जाता है। जबकि स्वाइन फ्लू का वायरस कम से कम दो से तीन मीटर के दायरे में अपना वायरस फैलाता है। इसके अलावा रोगियों के हाथ मिलाने से भी इसके वायरस का एक-दूसरे में आदान-प्रदान होता है।
जिन्हें पहले हो रखा है, वे ज्यादा नहीं डरे जिन लोगों को स्वाइन फ्लू हो चुका है, उन्हें डरने की आवश्यकता नहीं है। अब उनकी बॉडी एच-१ एन-१ वायरस झेलनी की आदी हो चुकी है। घबराने की बात यह है कि स्वाइन फ्लू ने अपना स्टै्रन बदल लिया है, जिस कारण से थोड़ा बहुत खतरा हो सकता है। पहले के रोगियों में अब स्वाइन फ्लू से लडऩे के लिए एंटी बॉडी तैयार हो चुकी है।
बीमार मरीज यूं जाने अपनी कैटेगरी कैटेगरी ए अगर हल्का सा बुखार है और कफ भी है। साथ ही गला खराब होने के साथ बदन दर्द, दस्त और उल्टी हो रही है तो घबराइए नहीं। इसमें एच-१ एन-१ टेस्ट की कोई जरूरत नहीं है। इसमें टेमीफ्लू लेने की कोई आवश्यकता नहीं है। सिर्फ घर पर आराम कीजिए। भीड़ वाले इलाकों में जाने से बचिए। गर्भवती, छोटे बच्चे और बुजुर्गों के पास न जाए।
कैटेगरी बी बहुत बुखार है और गले में दर्द है तो आपको भी टेस्ट की जरूरत नहीं है। एेसे समय में आप केवल और केवल टेमीफ्लू टेबलेट का सेवन कर लें। घर में एक अलग कमरे में रहें। इसके लिए विशेष रूप से डॉक्टर से परामर्श लें।
कैटेगरी सी यदि आप में ए और बी दोनों के लक्षण हैं। सांस लेने में भयंकर दिक्कतें आ रही है। सीने में दर्द, रक्तचाप, कफ में से खून आ रहा है और नाखून का रंग आसमानी हो चुका है तो यह कै टेगरी सी के लक्षण है। इस समय में आपको एच-१ एन-१ जांच की विशेष जरूरत है। इसमें विशेष रूप से आपको एंटी वायरल टेबलेट की जरूरत है।
इसमें सर्वाधिक जोखिम ० से ५ आयु वर्ग के बच्चों, ६५ या इससे अधिक उम्र के बुजुर्ग, गर्भवती महिला, हृदय रोगी व फेफड़े खराब वाले मरीज सहित अन्य गंभीर बीमारियों के रोगियों को हैं। जिन्हें सावधान रहने की जरूरत है।
– डॉ. आलोक गुप्ता, वरिष्ठ आचार्य, मेडिसिन विभाग, डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज