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जोधपुर

जेएनवीयू में 9 महीने से नहीं हुई सिण्डीकेट, अधिकारी बगैर स्वीकृति के कर रहे कामकाज

विवि का संशोधित बजट, सातवां वेतन आयोग भी अटका, राज्यपाल के आदेश के डर से दोनों कुलपतियों ने नहीं करवाई सिण्डीकेट

जोधपुरDec 28, 2018 / 11:16 am

Harshwardhan bhati

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गजेंद्र दहिया/जोधपुर. जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय का संचालन करने वाली सर्वोच्च नियामक संस्था सिण्डीकेट की बैठक पिछले नौ महीने से नहीं हुई है। कार्यवाहक कुलपति प्रो. राधेश्याम शर्मा 5 महीने तक कुर्सी पर रहे, लेकिन जरुरी एजेंडा होने के बावजूद सिण्डीकेट नहीं की। वर्तमान कुलपति प्रो. गुलाब सिंह चौहान को करीब 3 महीने हो गए लेकिन आचार संहिता के कारण सिण्डीकेट आहूत नहीं की। सिण्डीकेट के बगैर स्वीकृति के विवि के रजिस्ट्रार भंवरसिंह सांदू कामकाज कर रहे हैं। विवि का वर्ष 2018-19 का संशोधित बजट अब तक पास नहीं हुआ है। सरकार ने विवि के शिक्षकों को सातवां वेतन आयोग दे दिया। यहां तक की ग्रांट भी आ गई, लेकिन इसकी सिण्डीकेट से अनुमति लेने की वजह से यह भी अटका हुआ है। विवि के एक दर्जन से अधिक महत्वपूर्ण कार्य सिण्डीकेट नहीं होने से ठप पड़े हैं।
आरपी सिंह ने ली थी अंतिम सिण्डीकेट

विवि सिण्डीकेट की अंतिम बैठक इसी वर्ष 24 मार्च को हुई थी, जो बहुत विवादस्पद रही। तत्कालीन कुलपति डॉ. आरपी सिंह ने जोधपुर आई तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बैठक रोकने के आदेश के बावजूद सिण्डीकेट करके पांच शिक्षकों की नियुक्ति के लिफाफे खोल दिए। साथ ही जून 2017 से लेकर मार्च 2018 की सिण्डीकेट बैठकों के मिनट्स भी इसी सिण्डीकेट में एक मिनट में पारित कर दिए गए। डॉ. सिंह का कार्यकाल 5 मई को समाप्त हो गया था। उसके बाद डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन् राजस्थान आयुर्वेद विवि के कुलपति डॉ. राधेश्याम शर्मा कार्यवाहक कुलपति बने। वे 5 अक्टूबर तक रहे लेकिन उन्होंने भी कोई सिण्डीकेट नहीं की। राज्य में विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के तीन घण्टे पहले यानी 6 अक्टूबर को प्रो. गुलाब सिंह चौहान ने कुलपति का पदभार संभाला। उनको भी तीन महीने होने को हंै।
यह था डर
दरअसल राज्यपाल व उच्च शिक्षा विभाग ने जून में विवि को सिण्डीकेट बैठक करके वर्ष 2012-13 में हुई शिक्षक भर्ती के संबंध में निर्णय लेकर सरकार को अवगत कराने को कहा था। जब भी सिण्डीकेट होती तो पहला एजेण्डा यही होता। यही वजह है कि शिक्षकों के दबाव में विवि प्रशासन सिण्डीकेट बैठक टालता रहा।
13 में से केवल 5 सदस्य का कोरम चाहिए

सिण्डीकेट में कुलपति सहित 13 सदस्य होते हैं। लेकिन बैठक के लिए न्यूनतम कोरम कुलपति सहित पांच सदस्यों का है। सामान्यत हर दो महीने में एक बैठक होनी चाहिए ताकि विवि के सभी कार्यों की वैधानिक स्वीकृति मिल सके। आचार संहिता में भी सिण्डीकेट की बैठक हो सकती थी। वर्तमान में सिण्डीकेट में पांच पद रिक्त है। नई सरकार बनने के बाद राज्य सरकार की ओर से दो विधायक नियुक्त किए जाएंगे। इसके अलावा विवि दो चयनित शिक्षकों के पद खाली है। विवि के प्रोफेसर कोटे में चयनित डॉ. रवि सक्सेना का कार्यकाल 14 दिसम्बर को समाप्त हो गया है। वर्तमान में कुलपति सहित आठ सदस्य हैं।
ये होते हैं सिण्डीकेट के सदस्य
– कुलपति
– कुलपति द्वारा विवि के डीन-डायरेक्टर में से दो नामित सदस्य
– कुलपति द्वारा नामित दो प्रोफेसर
– राज्यपाल द्वारा नामित एक शिक्षाविद्
– कॉलेज शिक्षा का आयुक्त
– राज्य सरकार की ओर से नामित दो सदस्य
– राज्य विधानसभा के दो सदस्य
– विवि के शिक्षकों द्वारा चयनित दो शिक्षक
– एक छात्र प्रतिनिधि
आज कर लेंगे निर्णय

मेरे जॉइन करते ही आचार संहिता लागू हो गई इसलिए मैंने सिण्डीकेट बैठक नहीं की। अब जल्द बैठक होगी। इस बारे में संभवत: शुक्रवार को निर्णय कर लिया जाएगा।
प्रो. गुलाबसिंह चौहान, कुलपति, जेएनवीयू
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