चिकित्सालय प्रभारी डॉ. मुकेश शर्मा ने बताया कि पुरुष नसबंदी को लेकर शारीरिक कमजोरी सहित कई तरह की भ्रांतियां हैं, इस वजह से पुरूष नसबंदी से हिचकिचाते हैं। कस्बे का एक व्यक्ति दो बच्चों के जन्म के बाद बड़े बच्चे की उम्र 5 वर्ष होते देख अपनी नसबंदी करवाने के लिए महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता के साथ पहुंचा और अपना नसबंदी ऑपरेशन करवाया। नसबंदी पश्चात बतौर प्रोत्साहन राशि तीन हजार रुपए का चेक सौंपा, वहीं प्रेरक को भी दो सौ रुपए का चेक दिया गया।
इन्होंने कहा पुरुष नसबंदी वर्तमान में आधुनिक तरीके से की जाती है। इस पद्धति के दौरान बिना चीरा या टांका लगाए नसबंदी की जाती है। यह पद्धति सबसे सुरक्षित एवं दर्दरहित होती है। नसबंदी के अगले दिन ही व्यक्ति कैसा भी कठिन कार्य कर सकता है।
-डॉ. रविन्द्र सेवर, सर्जन, श्रीमरूधर केसरी राजकीय चिकित्सालय