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जोधपुर

बिजली उत्पादन घटा रही आंधियां

तेज गर्मी के बावजूद भड़ला व अन्य सौर ऊर्जा से विद्युत का उत्पादन इन दिनों घट गया है।

जोधपुरMay 30, 2018 / 12:36 am

pawan pareek

Thermal Effect : Reduction Solar Power Production in Jodhpur

बिजली उत्पादन घटा रही आंधियां

महेश कुमार सोनी
फलोदी. तेज गर्मी के बावजूद भड़ला व अन्य सौर ऊर्जा से विद्युत का उत्पादन इन दिनों घट गया है। आश्चर्यजनक है क्योंकि सूरज की किरणों की गर्मी को बिजली में बदलना है तो तेज गर्मी में ज्यादा उत्पादन होना चाहिए, लेकिन एेसा नहीं हो रहा है।

इसका सबसे बड़ा कारण सोलर मॉडयूल यानि सोलर पैनल के समूह की एक बड़ी तकनीकी खामी है, ये एक निश्चित अधिकतम तापमान के बाद अत्यधिक गर्म होने के कारण विद्युत उत्पादन में कमी लाना शुरू कर देते हैं। इसे तकनीकी भाषा में थर्मल इफेक्ट कहा जाता है। इसके अलावा धूल भरी आंधियां भी इसका उत्पादन घटा रही है, आंधियों में धूल के कण सोलर पैनल पर चिपक कर सौर की किरणों का असर कम कर देते है।
यूं गिरता है विद्युत उत्पादन का ग्राफ


सौर ऊर्जा संयत्रों में लगे सोलर मॉड्यूल सिलिकॉन के बने होते हैं तथा उनमें पी-एन डायोड लगे होते हैं। मॉड्यूल पर सूरज की किरणें गिरते ही सिलिकॉन के इलेक्ट्रोन गति करते हैं और उसी को विद्युत में परिवर्तित किया जाता है। तापमान में वृद्धि से मॉड्यूल का तापमान भी बढ़ जाता है तथा मॉड्यूल गर्म होने से इलेक्ट्रोन की गति कम हो जाती है। लिहाजा इलेक्ट्रोन की कम हुई गति से विद्युत उत्पादन का ग्राफ भी गिरना शुरू हो जाता है।
40-45 डिग्री सेल्सियस के बीच का तापमान बेहतरीन विद्युत उत्पादन देता है। इस तापमान में 1 मेगावॉट क्षमता से प्रतिदिन करीब 5 हजार यूनिट बिजली का उत्पादन होता है। अभी जब तापमान 45 डिग्री से ऊपर पहुंच गया है विद्युत उत्पादन 2-3 प्रतिशत गिर गया है। ज्यों-ज्यों गर्मी बढ़ेगी। उत्पादन में और गिरावट आने की संभावना है।
नया पैनल विकसित करने पर चल रहा है काम

थर्मल इफेक्ट और धूल के कणों से विद्युत उत्पादन में कमी को दूर करने के लिए जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय का रसायन विभाग एेसा सोलर पैनल विकसित करने पर काम कर रहा है, जो गर्मी बढने व आंधियां चलने पर न केवल इसके उत्पादन को कम होने से रोकेगा, बल्कि इसका उत्पादन दुगुना भी कर देगा।
सोलर पैनल सिलिकॉन तत्व से बनाए जाते हैं। सिलिकॉन तत्व व उसकी तकनीक में कुछ बदलाव लाया जाएगा। साथ ही ये केवल 20 फीसदी सौर विकिरणों को ही बिजली में परिवर्तित कर पाते हैं। रसायन विभाग के प्रोजेक्ट के अंतर्गत इनकी क्षमता बढ़ाकर 40 फीसदी तक की जाएगी ताकि लोगों को सस्ती सौर ऊर्जा मिल सके।

नए पैनल में नैनो तकनीक का इस्तेमाल

सोलर पैनल की उत्पादन क्षमता बढाने के लिए नैनो तकनीक का इस्तेमाल कर नया पैनल विकसित करने पर काम किया जा रहा है। सिलिकॉन तत्व को नैनो पार्टिकल में बदलकर इसकी तीव्रता बढ़ाएंगे।
-डॉ. आरसी मीणा, प्रोजेक्ट सह समन्वयक, रसायन विज्ञान विभाग, जेएनवीयू
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