भारत में विस्थापित : एक लाख राजस्थान में विस्थापित : 30 हजार
जोधपुर में विस्थापित : 15 हजार
नागरिकता की जमीनी हकीकत भारत सरकार ने सन 2005 में नागरिकता प्रदान करने के अधिकार कुछ महीनों के लिए जिला कलक्टर्स को दिए थे। इससे उनमें अधिकतर राजस्थान व गुजरात राज्यों और कुछ गुजरात में रह रहे पाकिस्तान विस्थापितों को लाभ तो हुआ था, लेकिन तब डेढ़ दो महीने के अंतराल में राजस्थान के केवल १३ विस्थापितों को ही नागरिकता मिली थी। सन 2005 के बाद 10/12 साल बीतने के बावजूद विस्थापितों को नागरिकता देने की गति बहुत धीमी रही। विस्थापितों के लिए संघर्षरत लोगों की मांग पर सरकार ने दिसंबर 2016 में एक बार फिर विस्थापितों को भारतीय नागरिकता देने का अधिकार जिला कलक्टर्स को दिया। इस दौरान केवल 1200 विस्थापितों को ही नागरिकता मिल सकी है। इस आदेश को भी तीन साल होने वाले हैं, लेकिन हजारों पाकिस्तान विस्थापित अब भी नागरिकता मिलने से वंचित हैं।
बनाड़ रोड -2500 झंवर रोड अलकौसर नगर -2200
आंगणवा – 1500 गंगाणा -3000
कालीबेरी -3000 डालीबाई मंदिर रोड – 1000 ( यहां थोड़ी सुविधाएं हैं।)
चोखा- 1000 बोरानाडा- 1000
कुड़ी भगतासनी- 600
आंगणवा बस्ती,जोधपुर
नागरिकता ही लाएगी असली रोशनी इस बात में कोई शक नहीं कि दिवाली एक ऐसा त्योहार है जिस पर विस्थापित थोड़े खुशी देख रहे हैं, लेकिन विस्थापित परिवारों के घरों में असल खुशी के दीपों का उजाला तब आएगा, जब उन्हें हिंदुस्तान की नागरिकता मिलेगी। यह बड़े दुख की बात है। अब नागरिकता देने के अधिकार जिला स्तर पर दे दिए गए हैं। लगभग तीन साल बीतने को जा रहे हैं लेकिन उसके बावजूद हजारों विस्थापितों को नागरिकता नहीं मिल पाई है। एेसे में उन सब के लिए यह दीपावली फीकी रहेगी। भारत सरकार ने अगस्त 2016 में विस्थापितों के लिए कानूनी नीति बना दी है। उसकी भी बहुत सी चीजें जमीनी स्तर पर लागू नहीं हो रही हैं।
-हिन्दूसिंह सोढा
जोधपुर