लक्ष्मण सोलंकी ने बताया कि यहां पिछले 80 साल से तवा पुड़ी बनाई जा रही है। पहले नारायणदास बंसल, फिर उनके भाई बजरंगलाल बंसल और बाद में राजेश बंसल ने इस लोक व्यंजन बनाने की परंपरा को आगे बढ़ा कर लोगों के सामने इसका जायका बनाए रखा। जोधपुरी तवा पुड़ी दो तरह से बनती है। एक- मोगर या चने की दाल की और दूसरी- बेसन की। वह बेसन की चक्की की तवा पुड़ी बनाते हैं।
जेठाराम ने बताया कि बसे पहले बेसन की चक्की बनाई जाती है। इसके लिए करीब 9 किलो बेसन 9 किलो देसी घी और 9 किलो कीटी लेते हैं। इसमें जावित्री, जायफल और इलायची मिलाते हैं। शक्कर और चाशनी ले कर मिलाते हैं, फिर एक घंटा सेंकते हैं। इसकी विधि यह है कि पहले बेसन और घी अलोते हैं,फिर उसकी मुट्ठियां बांधते हैं, उसके बाद बेसन घी में तलते हैं। फिर घी डाल कर सेंकते हैं। बाद में चाशनी मिलाते हैं और ठंडी कर के छाप लेते हैं। इस तरह बेसन की चक्की तैयार हो जाती है।
उन्होंने बताया कि तवा पुड़ी बनाने के लिए बेसन की पहले से तैयार 3 किलो चक्की सेंकते हैं। इसके लिए उसमें इलायची, जायफल व जावित्री मिलाते हैं। फिर मैदा पाउडर पानी से मिलाते हैं। फिर उसमें घी का डेढ़ किलो मूड़ डालते हैं। बाद में चक्की की गोलियां बना कर मैदे में लपेटते हैं और उसके बाद इसे देसी घी में तल लेते हैं। लीजिए तैयार हो गई भीनी भीनी खुशबू से महकती गर्मागर्म जोधपुरी तवा पुड़ी।