स्कंद पुराण के विष्णु खंड में एकादशी महात्म्य नामक अध्याय में सालभर की एकादशियों का महत्व बताया गया है। मान्यता है कि निर्जला एकादशी पर निर्जल रहकर किसी जरूरतमंद को शुद्ध पानी से भरा जल पात्र दान करने से सुख-समृद्धि बनी रहती है। जोधपुर समेत मारवाड़ के विभिन्न इलाकों में बहन-बेटियों को पानी का मटका, छलनी व पंखी के साथ शक्कर के गोले, सिंगाड़े की सेव व आम आदि भेजने की परम्परा है। गरीबों व जरुरतमंदों को भी इस दिन आम व अन्य सामग्री दान की जाती है।
विशेष योग का खास संयोग ज्योतिष शास्त्र में सिद्धि योग को बेहद शुभ माना जाता है। यह योग ग्रह-नक्षत्रों के शुभ संयोग से बनता है। यह योग सभी इच्छाओं को पूरा करने वाला माना जाता है। शिव योग में किए गए कार्यों में सफलता और शुभ परिणाम प्राप्त होने की मान्यता है।
विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ लाभकारी ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि इस व्रत में जल की एक बूंद भी ग्रहण नहीं की जाती है। व्रत के पूर्ण हो जाने के बाद ही जल ग्रहण करने का विधान है। ज्येष्ठ माह में बिना जल के रहना बहुत कठिन होता है। निर्जला एकादशी के दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना लाभकारी है और इससे कुंडली के विभिन्न दोष समाप्त होते हैं।
निर्जला एकादशी मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारम्भ – 20 जून शाम 4.21 बजे एकादशी तिथि समाप्त – 21 जून दोपहर 1.31 बजे
व्रत पारणा समय – 22 जून सुबह 5.13 से 8.01 बजे तक