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जोधपुर के तोरणेश्वर शिवालय में अर्जुन ने लिए थे सुभद्रा संग सात फेरे, यहां पूरी हुई थी तोरण की रस्म

जोधपुर के निकट धुंधाड़ा से करीब 12 किलोमीटर दूर पाली जिले की रोहट पंचायत समिति के देवांदी ग्राम पंचायत के अधीन प्राचीन तोरणेश्वर महादेव मंदिर के बारे में ऐसी पौराणिक मान्यता है कि पाण्डु पुत्र अर्जुन भगवान श्रीकृष्ण के संकेत पर सुभद्रा का हरण करके यहां लाये थे और यहां आकर सुभद्रा के साथ सात फेरे लिए थे।

जोधपुरAug 04, 2019 / 11:24 am

Harshwardhan bhati

shiv temples in jodhpur

जोधपुर के तोरणेश्वर शिवालय में अर्जुन ने लिए थे सुभद्रा संग सात फेरे, यहां पूरी हुई थी तोरण की रस्म

जोधपुर. जोधपुर के निकट धुंधाड़ा से करीब 12 किलोमीटर दूर पाली जिले की रोहट पंचायत समिति के देवांदी ग्राम पंचायत के अधीन प्राचीन तोरणेश्वर महादेव मंदिर के बारे में ऐसी पौराणिक मान्यता है कि पाण्डु पुत्र अर्जुन भगवान श्रीकृष्ण के संकेत पर सुभद्रा का हरण करके यहां लाये थे और यहां आकर सुभद्रा के साथ सात फेरे लिए थे। पाणिग्रहण संस्कार पूर्ण होने से पूर्व मंदिर परिसर में तोरण की भी रस्म अदा की थी। इसीलिए मंदिर का नाम तोरणेश्वर पड़ा था।
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आस्था का केन्द्र महाभारतकालीन तोरणेश्वर महादेव मंदिर में श्रावण मास के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्वालु आते हैं तथा रुद्राभिषेक करते हैं। सावन मास में हर रोज मंदिर में रूद्राभिषेक होता हैं। प्रत्येक सावन सोमवार को यहां बड़ी संख्या में शिवभक्तों के पहुंचने से मेले सा माहौल रहता है।
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श्रावण मास में जोधपुर पाली, बाडमेर, जालोर जिलों सहित अनेक जगहों के शिवभक्त दर्शन के लिए हर साल मंदिर आते हैं। पंडित पुखराज वेदिया के अनुसार प्राचीनकाल में मंदिर में एक सुरंग थी जो सरेचा पंचायत के राजस्व गांव सर स्थित सुभद्रा माता मंदिर में निकलती थी। यह सुरंग क्यों बनवाई गई थी आज भी अबूझ पहेली है।

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