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सूरत

जोधुपर के इस हाई-वे पर विकास के नाम पर हजार पेड़ों की बलि, करोड़ों खर्च कर लगाए पौधे भी नहीं बचे!

जोधपुर का एक हाई-वे एेसा है, जहां लगे हजारों पेड़ों को विकास के नाम पर बलि चढ़ाई जा रही है। वहीं करोड़ों रुपए खर्च कर लगाए गए पौधे भी नहीं बच पाए हैं। एेसे में क्या होगा जोधपुर की हरियाली का, यह विचारीणय बिंदु है।

सूरतJun 18, 2017 / 07:02 pm

Harshwardhan bhati

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सूखी धरा को हरा भरा करने के नाम पर जनता को भुलावे में रखने का खुलासा हुआ है। थार रेगिस्तान के प्रवेश द्वार जोधपुर सहित मारवाड़ के जिलों को हरा भरा करने के नाम पर करोड़ों खर्च कर साल दर साल करोड़ों पौधे लगाए गए, लेकिन अब 5 फीसदी पौधे भी सही सलामत नहीं बचे है। अब हाईवे विकास के नाम पर हजारों पेड़ की बलि दी जा रही है। भारत सरकार की राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना के तहत जोधपुर बर मार्ग को फोर लेन के रूप में विकसित करने के नाम पर अब तक 500 से अधिक बड़े पेड़ काटे जा चुके है। दावा है कि अब हाइवे विस्तार के कार्य पिचियाक से बिलाड़ा तक कार्य प्रगति पर है।
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इस साल फिर लगेंगे आठ लाख पौधे

हरियाली बढ़ाने तैडकपके नाम पर जोधपुर संभाग (मारवाड़ ) में हरित राजस्थान योजना के तहत वर्ष 2009 से 2012 के दौरान कुल 3 वर्षों में 92 लाख 8 हजार 957 पेड़ लगाने पर 56 करोड़ 94 लाख 79 हजार 400 रुपए खर्च किए गए, लेकिन रोपे गए पौधों में से पांच प्रतिशत भी नहीं बचे। ग्रामीण विकास व पंचायतीराज विभाग की मानें तो बाड़मेर जैसलमेर, जालोर ,जोधपुर, पाली व सिरोही में कुल 92 लाख 8 हजार 957 पौधे लगाने के लिए 56 लाख 94 हजार 794 खर्च किए गए। पौधों के रखरखाव की पुख्ता व्यवस्था नहीं होने से रोपित पौधों में से अब 5 प्रतिशत पौधे भी जीवित नहीं रहे। इस वर्ष वनविभाग की ओर से जोधपुर जिले में स्टेट प्लान, कैम्पा निधि, आरएफबीपी, नरेगा और एमजेएसए योजना के तहत कुल 8 लाख 19 हजार पौधे लगाए जाएंगे।
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जोधपुर में हरियाली मात्र 1.07 प्रतिशत

फॉरेस्ट सर्वे आफ इंडिया की ओर से प्रकाशित वन स्थिति रिपोर्ट में जोधपुर के भौगोलिक क्षेत्रफल 22 हजार 850 वर्ग किलोमीटर की तुलना में वनावरण मात्र 0.43 प्रतिशत बताया गया है। इनमें सामान्य सघन वन मात्र 1.07 प्रतिशत है।
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लाखों पौधे भी संदेह के घेरे में

मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के तहत करोड़ों खर्च कर राज्य सरकार ने लाखों पौधे लगाने की जिम्मेदारी स्टाफ की कमी से जूझ रहे वन विभाग को दी है। एेसे में रोपे गए पौधों की देखभाल और सुरक्षा व्यवस्था के लिए जब तक अधिकारियों की जवाबदेही नहीं होगी, तब तक रोपे जाने वाले लाखों पौधों का हश्र भी वही होगा जो दशकों से होता आ रहा है।
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कहां गए जिम्मेदार ?

डेढ़ दशक पहले 2002 में पंचायतीराज विभाग ने पौधरोपण के बाद ग्रामीण क्षेत्र में प्रॉपर मॉनिटरिंग के लिए बीडीओ की जिम्मेदारी तय भी की थी, लेकिन डेढ़ दशक बीतने के बावजूद सरकारी आदेश कागजों में धूल फांक रहे हैं।
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शिफ्ट भी तो कर सकते हैं

हाईवे पर किनारे लगे दशकों पुराने पेड़ों को शिफ्ट कर बचाया भी जा सकता है। पेड़ों को शिफ्ट करने के लिए विधि द्वारा उत्तराखण्ड व उत्तर प्रदेश में हजारों पेड़ बचाए जा चुके है। राज्य सरकार चाहे तो हाईवे विकास के नाम पर काटे जा रहे पेड़ों को वन विभाग के माध्यम से बचाया जा सकता है।
-डॉ. हेमसिंह गहलोत, पर्यावरण व वन्यजीव विशेषज्ञ

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दोषी अधिकारियों से वसूले धन
सरकार की हरित राजस्थान योजना में जोधपुर संभाग के जिलों में बड़ी राशि खर्च कर पौधे लगाने और जीवितता प्रतिशत नाम मात्र रहने पर दोषी अधिकारियों से धन वसूल करने और सीबीआई से मामले की जांच होनी चाहिए।
-बाबूलाल जाजू, प्रदेश प्रभारी, पीपुल फ ॉर एनिमल्स 

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