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जोधपुर

न देखा लेबल, न थे संक्रमण मुक्त…लगा दिए इंजेक्शन

मथुरादास माथुर अस्पताल में मरीजों को लगाए गए पशुओं के इंजेक्शन पूरी तरह से संक्रमण मुक्त नहीं थे। इन्हें जीवाणु रहित नहीं किया गया था।

जोधपुरFeb 21, 2015 / 08:52 am

sangita chaturvedi

मथुरादास माथुर अस्पताल में मरीजों को लगाए गए पशुओं के इंजेक्शन पूरी तरह से संक्रमण मुक्त नहीं थे। इन्हें जीवाणु रहित नहीं किया गया था।

इंसानों का लगाए गए जीवनरक्षक मेरोपीनाम इंजेक्शन का मामला केवल गलत लेबल लगाने का ही नहीं था, बल्कि ये अधोमानक भी थे।

प्रदेश के औषधि नियंत्रण संगठन की ओर से कोलकाता स्थित सेंट्रल ड्रग लेबोरेट्री को भेजे गए इंजेक्शन के नमूनों की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।

गौरतलब है कि अस्पताल में 16 से 22 जून के बीच विभिन्न वार्डों में भर्ती 26 मरीजों को पशुओं के लेबल वाले एेसे152 इंजेक्शन लगाए गए थे।

गत वर्ष 22 जून को मथुरादास माथुर अस्पताल में हिमाचल प्रदेश के मैसर्स पुष्कर फार्मा का ‘केवल पशुओं में इस्तेमाल के लिएÓ लेबल वाला पी-पीनाम इंजेक्शन (मेरोपीनाम, बैच नं. पीपीएम 110) भर्ती मरीजों को लगाने का मामला सामने आया था।

उसके बाद औषधि नियंत्रण संगठन ने जोधपुर के स्थानीय डिस्ट्रीब्यूटर जालोरी गेट स्थित अग्रवाल फार्मा का लाइसेंस रद्द कर दिया था। साथ ही पुष्कर फार्मा को पूरे राज्य में ब्लैक लिस्टेड किया गया था।


…इसलिए नहीं कर रहे थे असर
उन दिनों एमडीएम में भर्ती बाड़मेर बायतु निवासी 60 वर्षीय गोसाईराम की तबीयत सुधरने की बजाय और बिगड़ गई थी। इन्हें कोई भी कार्य करते वक्त हाथों में धुजणी रहती थी। इन्हें 13 जून को मथुरादास माथुर अस्पताल के मेडिकल वार्ड बी में भर्ती किया गया।

इस मरीज को एमडीएमएच में 17 से 20 जून तक 10 मेरोपीनाम इंजेक्शन लगाए गए। परिजनों ने आरोप लगाया था कि अस्पताल में पशुओं के इंजेक्शन लगाने के कारण मरीज की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। कई मरीज थे, जिन्हें ये इंजेक्शन लगाए गए। इनकी जान तो नहीं गई, लेकिन उनकी हालत में कोई सुधार नहीं आया। कइयों की तो तबीयत ही बिगड़ गई।

दो अन्य दवाइयां भी प्रतिबंधित
पुष्कर फार्मा के पी-पीनाम ब्रांड वाले मेरोपीनाम इंजेक्शन के अलावा बुखार-दर्द और गैस की गोली को भी प्रतिबंधित किया गया है। हिमाचल प्रदेश के बड्डी एचपीएसआईडीसी, इंड एरिया स्थित मैसर्स एएसए बायोटेक की ब्रांड नाम स्टेनशिल (निमेसुलाइड एंड पेरासिटामॉल, बैच नं. एबीटी-1282) और कोलकाता के कृष्णापुर रोड स्थित मैसर्स एलेन लेबोरेट्री की गैसट्रिन (बैच नं. बी-045) को भी प्रतिबंधित किया गया है।

ये तो गंभीर लापरवाही
 प्रकरण में करीब डेढ़ माह पूर्व ही केस दायर किया गया है। इंजेक्शन पर गलत लेबल लगाए जाने के साथ रिपोर्ट के अनुसार ये बिल्कुल अमानक भी थे। इंजेक्शन को ठीक तरीके से जीवाणुरहित किए गए बगैर सप्लाई कर देना गंभीर बात है।
भरत गोस्वामी, सहायक औषधि नियंत्रक

बिगड़ सकती है तबीयत
 ऐसे इंजेक्शन मरीज की हालत में कोई सुधार नहीं लाते हैं। कई बार रिएक्शन भी हो जाता है। मरीज की तबीयत भी बिगड़ सकती है।
 डॉ. नवीन किशोरिया, आचार्य, मेडिसिन विभाग, एसएन मेडिकल कॉलेज
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