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निर्दयी हड़ताल, बेबस मरीज: जोधपुर में स्ट्राइक के दौरान 12 और मरीजों की मौत, मरने वालों में 4 बच्चे भी

locationजोधपुरPublished: Nov 11, 2017 09:54:16 am

Submitted by:

Abhishek Bissa

हड़ताल के दौरान 12 और मरीजों की मौत, प्लान ऑपरेशन टले
 

doctors strike in Jodhpur

doctors strike in Jodhpur

जोधपुर . रेजीडेंट डॉक्टर्स की हड़ताल के बाद तीनों अस्पतालों में चिकित्सा व्यवस्था लडख़ड़ा गई हंै। सेवारत चिकित्सकों की हड़ताल को पांच दिन बीत चुके हैं। ऐसे में जिला स्वास्थ्य केन्द्रों की बुरी हालत है। रेजीडेंट चिकित्सक गत बुधवार रात हड़ताल पर चले गए थे। वार्डों में भर्ती मरीज बेहाल हैं। शहर के आउटडोर में मरीजों की संख्या घट चुकी है। दूसरी ओर निजी अस्पतालों और डॉक्टरों की क्लिनिक में मरीजों की संख्या में इजाफा हो गया है। साथ ही अस्पतालों में हड़ताल के दौरान मौतें होने का सिलसिला नहीं थम रहा है।
आंकड़ों के अनुसार महात्मा गांधी अस्पताल में शुक्रवार को एक मौत, मथुरादास माथुर अस्पताल में 7 मौत और उम्मेद अस्पताल के शिशु रोग विभाग में 4 बच्चों की मौत हो गई। इन मौतों के ये सभी मौत के आंकड़े शुक्रवार रात 8 बजे तक के हैं। हालांकि यहां गायनी विभाग में कोई मौत नहीं हुई है। इन सभी अस्पतालों में गंभीर भर्ती मरीजों की सारसंभाल करने के लिए पर्याप्त डॉक्टर्स नहीं हैं।
एमजीएच अधीक्षक डॉ. पीसी व्यास, एमडीएमएच अधीक्षक डॉ. शैतानसिंह राठौड़ और उम्मेद अस्पताल अधीक्षक डॉ. रंजना देसाई के अनुसार ये सभी मरीज गंभीर अवस्था में थे, इनकी मौत भी चिकित्सकों के उपचार के दौरान हुई है। वहीं इन अस्पतालों में दूसरे दिन भी शुक्रवार को महज इमरजेंसी ऑपरेशन किए गए। शेष प्लान ऑपरेशन टाले गए।

परिजनों का कहना, मरीज का क्या कुसूर

इन दिनों अस्पतालों में परिजन डॉक्टरों को कोस रहे हैं। उनका कहना है किसी की जान जोखिम में डाल कर कोई कैसे हड़ताल कर सकता है। परिजनों का कहना है कि डॉक्टरों की मांग सरकार से है, वे मरीजों से किस बात का बदला ले रहे हैं। इस हड़ताल के कारण मरीजों के परिजनों की जान सांसत में आई हुई है।
एमजीएच आउटडोर में तीन वरिष्ठ डॉक्टर एक साथ

महात्मा गांधी अस्पताल के आउटडोर में भी मरीजों की संख्या घटी है। वहीं यहां शुक्रवार की आउटडोर में कई मरीजों के लिए सुनहरा अवसर था कि उन्हें एक साथ तीन सीनियर डॉक्टर बैठे हुए मिल गए। यहां शुक्रवार को डॉ. मनोज लाखोटिया, डॉ. आलोक गुप्ता व डॉ. संदीप टाक एक साथ आउटडोर में मौजूद मिले। जबकि ये सभी चिकित्सक अपने-अपने आउटडोर डे के दिन बैठते हैं, लेकिन हड़ताल के कारण फिलहाल आउटडोर डे वाली प्रणाली नहीं चल रही है। वह भी कम भीड़ के दौरान मरीज सीनियर्स चिकित्सक को दिखा कर खासे खुश दिखे। जबकि निजी क्लिनिक में भी इन चिकित्सकों के यहां बमुश्किल से मरीजों का नंबर लगता है।
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