वृहदपीठ ने एएजी से पूछा कि पिछली सुनवाई में आपकी ओर से विशेष खंडपीठ की ओर से 12 जनवरी 2017 को जारी आदेश की पालना में आ रही कठिनाइयों पर न्याय मित्र महेन्द्र सिंघवी और विनीत दवे से मिल कर सुझाव पेश करने के सम्बंध में शपथ-पत्र पेश करने के लिए कहा गया था, उसका क्या हुआ? इस पर न्याय मित्र सिंघवी ने कहा कि सरकार की ओर से 12 आदेश की पालना करने में असमर्थता जताई गई, ये सभी आवश्यक निर्देश थे। ये निर्देश उनकी ओर से पेश सुझावों पर ही जारी किए गए थे, इसलिए वे इस मामले में सरकार को कोई सुझाव नहीं देंगे। इस पर एएजी पंवार ने कहा कि न्यायमित्र की ओर से सहयोग नहीं मिलने से शपथ पत्र पेश नहीं किया जा सका, वह भी अगली सुनवाई में पेश करेंगे।
पीएस मेंडोला से लिखित दर्खास्त पेश करने को कहा
सुनवाई शुरू होते ही लोक सम्पत्ति संरक्षण समिति के पीएन मंडोला ने बोलना शुरू कर दिया और कहा कि जयपुर में सरकार की ओर से 12 जनवरी 2017 को जारी एक भी निर्देश की पालना नहीं की जा रही है। यही नहीं, इस याचिका से पहले भी हाईकोर्ट ने कम से कम नौ बार इस तरह के निर्देश जारी किए, लेकिन सरकार ने आज तक किसी भी निर्णय की पालना नहीं की। इस पर वृहद्पीठ ने मेडोला को ये सब बातें लिखित दर्खास्त के रूप में पेश करने को कहा।
बीकानेर के मामले फिर से खंडपीठ को रेफर वृहद पीठ में मंगलवार को बीकानेर में एलिवेटेड रोड निर्माण को लेकर दो याचिकाएं भी सुनवाई के लिए लिस्टिंग की
गई थी, लेकिन इससे सम्बंधित अधिवक्ताओं ने कहा कि इन याचिकाओं को वृहद पीठ में कैसे रखा गया है, इस पर वृहद पीठ ने भी इन याचिकाएं वापस खंडपीठ में सुनवाई के लिए लिस्टिंग करने की अनुशांसा करते हुए सुनवाई स्थगित कर दी। कुल 15 मिनट चली वृहदपीठ की सुनवाई के दौरान जयपुर जेडीए सहित अन्य शहरों के स्थानीय निकायों के अधिकारी मौजूद रहे।