केंद्र सरकार ने 16 जून से पेट्रोल पम्पों पर पेट्रोल-डीजल के दैनिक मूल्य निर्धारण की व्यवस्था लागू की थी। पहले दस दिन तो तेल के दाम लगातार गिरे। पेट्रोल-डीजल सस्ता होने से जहां जनता को आराम मिला वहीं पेट्रोल पंप संचालकों को घाटा होने से उन्होंने हड़ताल की धमकी दे डाली लेकिन एक जुलाई से परिस्थितियां बदल गई। पिछले एक महीने से तेल के दाम लगातार ऊपर ही चढ़ रहे हैं। पिछले एक महीने से तेल के दाम लगातार ऊपर ही चढ़ रहे हैं। हर रोज कुछ पैसे बढऩे से जनता को पता नहीं चलता और वह चुपचाप पेट्रोल पंपों पर जाकर अपनी गाड़ी में ईंधन भरवा लेती है जबकि इससे पहले एक-एक पखवाड़े से तेल के दामों की समीक्षा होती थी। अगर एक साथ 3 से 5 रुपए बढ़ जाते तो पेट्रोल पंपों पर लाइनें लग जाती और राजनीतिक पार्टियां सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल देती। केंद्र सरकार की योजना की सुझबूझ ने जनता को ही ठग लिया है। आपको बता दें अगस्त में हर रोज दाम बढ़ रहे हैं, वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल के दाम गिर रहे हैं। कंपनियां आपकी जेब काट कर खुद मुनाफा कमा रही हैं और आप अनजान बैठे बस लुट रहे हैं।