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जोधपुर

तीन तलाक: सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पीडि़ताएं बोलीं…अब मिला मरहम, हमारी किसी ने तो सुनी

तीन तलाक पर उच्चतम न्यायालय के फैसले पर भर आईं जोधपुर की इन पीडि़ताओं की आंखें

जोधपुरAug 23, 2017 / 06:31 pm

Nidhi Mishra

Triple Talaq Story of khargone Madhya Pradesh

Triple Talaq Story of khargone Madhya Pradesh

वो तीन शब्द जब भी कानों में गूंजते और याद आते हैं, दर्द और गहरा हो जाता है। तीन बार तलाक के दर्दनाक शब्द सुन कर जिन्दगी के हमसफर से अलग होने का उनका यह दर्द कोई नहीं समझ रहा था। यह दर्द आज आंसू बन कर फूट पड़ा। अरसे बाद आंखों में चमक और चेहरे पर खुशी का भाव नजर आया। उन्हें इस बात की तसल्ली हुई कि सुप्रीम कोर्ट ने उनकामर्म पहचाना।
सुप्रीम कोर्ट के तीन तलाक पर मंगलवार को दिए गए फैसले पर शहर की तलाक पीडि़ताओं से बात की गई। महिलाआें ने बताया कि पुरुष गुस्से या आवेश में आकर अक्सर तीन बार तलाक कह देते हैं। क्षणभर के आवेश से पूरी जिंदगी दांव पर लग जाती है। महिलाएं तीन तलाक पर पूर्ण रूप से रोक चाहती हैं।
मुझ पर बीती अब किसी और पर नहीं बीतेगी


२४ वर्षीय अमरीन बानो की नकाब से झांकती हुई आंखों में इस फैसले से हुई खुशी का रंग नजर आया। तीन तलाक का दंश झेल रही अमरीन सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खुश दिखी। फैसले के बारे में अमरीन से बात की तो वह तपाक से बोली, जो मुझ पर बीती अब किसी और पर नहीं बीतेगी। अमरीन ने अपनी शादी बचाने के लिए जुलाई में कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और तलाक पर स्टे लिया व पति की दूसरी शादी रुकवाई। अमरीन के पति वसीम ने उसके पड़ोस में कागज के टुकड़े पर तीन तलाक लिख कर आधा अधूरा तलाकनामा दे दिया और वह ७ जुलाई को दूसरी शादी करने वाला था।
अमरीन के चार वर्ष की बेटी है। उसेे दिन रात बेटी की चिंता सताती है। खुद पढ़ी लिखी नहीं होने के कारण वह नौकरी करने के बारे में सोच भी नहीं पा रही। उसने कहा, इस कानून से मनमानी समाप्त होगी। पुरुषों का सिर्फ इतना बोलना होता है और हमारा दिल जानता है कि हम जिंदगी कैसे गुजारते हैं।
जब अदालत के बाहर बोल गया-तलाक…तलाक.. तलाक..

समिता बानो को २०१५ में उसके पति जाकिर हुसैन ने अदालत के बाहर तीन तलाक कहकर तलाक दे दिया। सन २००८ में समिता की शादी हुई थी। उसके सात साल का बेटा है। उसने बताया कि कोर्ट में चल रहे तलाक के केस में पेशी के दौरान पति के साथ रहने की इच्छा जाहिर की, लेकिन कोर्ट के बाहर आकर उसने तीन तलाक कहकर समाज में सभी को यह बता दिया कि मेरा तलाक हो चुका है और दूसरा निकाह कर लिया। भरण-पोषण इसलिए नहीं दे रहा कि वह दूसरी बीवी का खर्चा उठा रहा है। मैं कहती हूं कि जब निकाह के समय काजी औरत की रजामंदी पहले लेते हैं तो तलाक के समय भी एेसा ही होना चाहिए। यह कैसी नाइन्साफी है कि पुरुष जब चाहे तीन तलाक कह कर पत्नी को छोड़ देता है। मैं आठवीं पास हूं और ज्यादा नियम या कोर्ट के फैसले नहीं जानती, लेकिन तीन तलाक खत्म हो, ताकि हम मुस्लिम महिलाओं को राहत मिले।
गुस्से में बोल दिया तीन तलाक


शबाना (परिवर्तित नाम) के पति ने उसे गुस्से में तीन तलाक कह दिया। दस माह की बच्ची को गोद में लिए २० वर्षीय शबाना नम आंखों से बोली, मुझे यह तलाक मंजूर नहीं, मुझे पति के घर जाना है। उसे जब सुप्रीम कोर्ट के तीन तलाक के फैसले के बारे में बताया तो बोली कि यह फैसला अच्छा है, कम से कम हमारी आने वाली पीढ़ी तो यह सब नहीं भुगतेगी। औरतों की जिंदगी संवर जाएगी।
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