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जोधपुर

जोधपुर का एक मंदिर ऐसा भी…जहां है शिक्षक की मूर्ति, रोज होती है पूजा-अर्चना…!

जोधपुर के बेलवा में एक ऐसा मंदिर है, जहां शिक्षक कह मूर्ति लगी है और उसकी पूजा होती है।
 

जोधपुरNov 01, 2017 / 02:41 pm

Nidhi Mishra

unique temple of teacher in jodhpur

unique temple of teacher in jodhpur

बेलवा/जोधपुर . मंदिर में भगवान की पूजा-अर्चना से तो सभी परिचित हैं। साउथ में फिल्मी कलाकारों के मंदिरों के बारे में भी देखा, सुना गया है, लेकिन आपने कभी ऐसा मंदिर देखा है जहां भगवान की ही तरह एक शिक्षक की पूजा की जाती हो? संभवत: यह प्रदेश का पहला उदाहरण है, जहां प्रतिदिन शिक्षा के पुजारी की ईश्वर की तरह पूजा होती है। इस मंदिर में शिक्षक के प्रति भगवान तुल्य आस्था देखने को मिलती है।
जीयाबेरी गांव में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में सेवारत शिक्षक बजरंगसिंह भाटी का ब्रेन हेमरेज से गत 26 जुलाई को देहांत हो गया था। वर्ष 2011 से विद्यालय में लगे भाटी ग्रामवासियों में एक आदर्शवादी एवं निष्ठावान छवि के शिक्षक के रूप में पहचाने जाते हैं। शिक्षक के निधन के बाद ग्रामीणों एवं विद्यार्थियों की आस्था के कारण गत 6 सितंबर को विद्यालय के पास स्थित जयशंकर महादेव मठ में शिक्षक की मूर्ति स्थापित की गई। संभवत: राजस्थान राज्य में यह पहला उदाहरण है, कि किसी शिक्षक की मूर्ति स्थापित की गई हो।
धार्मिक आस्था का केन्द्र

जीयाबेरी विद्यालय के पास स्थित धूणे पर बना बजरंगसिंह भाटी का मंदिर गांव की आस्था का केन्द्र बना हुआ है। विद्यालय के विद्यार्थी नियमित रूप से विद्यालय में आने से पहले अपने प्रिय शिक्षक की प्रतिमापर नमन कर उन्हें याद करते हैं। गुरु-शिष्य के रिश्ते की यह झलक अपने आप में बेमिसाल है। धूणे में रेवतसिंह इन्दा के सानिध्य में कक्षा दसवीं के छात्र फ ौजाराम प्रजापत द्वारा नियमित रूप से सुबह-शाम आरती, दीपक ज्योति एवं पूजा अर्चना की जाती है।
आदर्श शिक्षक थे भाटी

स्व. भाटी ने राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में अपनी आदर्श एवं शिष्टाचारी छवि के कारण जीयाबेरी गांव के 36 कौम के लोगों के दिलों में जगह बनाई है। भाटी ने राजकीय विद्यालय को उच्च प्राथमिक से उच्च माध्यमिक में क्रमोन्नत करवाने में विशेष सहयोग प्रदान किया था। वहीं वे होली, दिवाली से सर्दियों की छुट्टियों में भी जोधपुर ? से आकर गांव के बच्चों को नि:शुल्क अध्यापनकरवाते थेे। शिक्षक के निधन पर स्कूली बच्चों के साथ पूरा गांव रोया था।

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