विक्टोरिया की तस्वीर थी पोस्टकार्ड पर
ऑस्ट्रिया में शुरू हुआ पोस्टकार्ड अब 148 साल का हो गया है। भारत का पहला पोस्टकार्ड 1879 में जारी हुआ था। इसकी कीमत 3 पैसे रखी गई थी। पहला पोस्टकार्ड हल्के भूरे रंग में छपा था। इस पर ‘ईस्ट इण्डिया पोस्टकार्ड’ छपा हुआ था। बीच में ग्रेट ब्रिटेन का राजचिह्न मुद्रित था। ऊपर दाएं कोने में लाल-भूरे रंग में छपी ताज पहने सम्राज्ञी विक्टोरिया की मुखाकृति थी। वक्त के साथ पोस्टकार्ड में कई तब्दीलियां हुई। लंबे समय तक पोस्टकार्ड की कीमत 25 पैसे रखी गई। कुछ सालों पहले इसे 50 पैसे कर दिया गया, लेकिन लोगों के विरोध के बाद विज्ञापन वाला मेघदूत पोस्टकार्ड 25 पैसे में फिर से जारी किया गया।
विश्व डाक दिवस पर रैली आज नौ अक्टूबर, 1874 को यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन की स्थापना स्विटजरलैंड के बर्न शहर में हुई थी। भारत प्रथम एशियाई राष्ट्र था, जो 1 जुलाई 1876 को इसका सदस्य बना। वर्ष 1969 में टोकियो, जापान में सम्पन्न यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन, कांग्रेस में इस स्थापना दिवस को विश्व डाक दिवस के रूप में घोषित किया गया।
जोधपुर के डाक मंडलों और डाकघरों में विश्व डाक दिवस के मौके पर 9 से 15 अक्टूबर तक राष्ट्रीय डाक सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। इसकी शुरुआत सोमवार सुबह 9 बजे रेलवे स्टेशन स्थित मुख्य डाकघर से एक रैली के साथ होगी।
जोधपुर में प्रतिदिन की डाक
– 36000 कुल डाक – 17000 सामान्य लिफाफे
– 7000 अंतरदेशीय पत्र – 3000 पोस्टकार्ड
– 2700 स्पीड पोस्ट – 2200 रजिस्टर्ड लैटर
– 500 पार्सल डाकिए के थैले में अब बड़े आर्टिकल
पहले डाकिए के थैले में व्यक्तिगत चिठिठ्यां ही हुआ करती थी। अब बदलते वक्त के साथ कॉमर्शियल आर्टिकल अधिक हो गए हैं। इसमें पार्सल, रजिस्टर्ड डाक, स्पीडपोस्ट, आधार कार्ड, पासपोर्ट, बिजली-टेलीफोन के बिल, एलआईसी सहित अन्य कम्पनियों के प्रीमियम लैटर शामिल है। फिर भी डाक विभाग की अहमियत अब भी बरकरार है। -कृष्णकुमार यादव, निदेशक (डाक सेवाएं), पश्चिमी क्षेत्र डाक परिण्मडल, जोधपुर