फंड हाथ से जाते ही ढीला पड़ा अभियान जिला व सैटेलाइट अस्पतालों के मेडिकल कॉलेज के अधीन चले जाने के बाद सीएमएचओ के हाथ से इन अस्पतालों के संचालन लिए मिलने वाला फंड भी चला गया, इसलिए इस अभियान की पकड़ ग्रामीण क्षेत्रों में कमजोर हो गई है। उधर, चिकित्सा विभाग का मानना है कि जलदाय विभाग अपने स्तर पर पानी के सैंपल लेता है, लेकिन जब पीलिया या डायरिया के मरीज सामने आते हैं, तभी चिकित्सा विभाग की टीम सैंपलिंग करने पहुंचती है।
बीसीएमओ की अनदेखी, नहीं आ रहे परिणाम बीसीएमओ की अनदेखी का ही नतीजा है कि ब्लॉक स्तर पर घर-घर पानी की सैंपलिंग में 15 ब्लॉक फिसड्डी साबित हो रहे हैं। सूत्रों की माने तो स्वास्थ्य विभाग ने एएनएम को सैंपलिंग बढ़ाने के लिए दिशा निर्देश जारी किए हैं।
अभी सैंपलिंग में आई है थोड़ी कमी अभी पानी की सैंपलिंग में थोड़ी दिक्कत आई है। मंडोर में पानी की टेस्टिंग की लैब अपने पास थी। अब मेडिकल कॉलेज के पास चली गई, फिर भी 20-30 सेंपल तो ले ही रहे हैं। निदेशक ने मीटिंग में भी लू तापघात को देखते हुए सैंपलिंग में तेजी लाने के भी निर्देश दिए हैं। अभी तक तो यही है कि सैंपल टेस्टिंग के लिए भेज देंगे। वैसे जलदाय विभाग तो सैंपल लेता है। हमारा रोल तो डायरिया और पीलिया मरीज के सामने आने पर सैंपल लेना होता है। आमतौर पर इनके मरीज सबसे ज्यादा मई जून में ही आते हैं।
डॉ. एसएस चौधरी, सीएमएचओ