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जोधपुर

पानी सैंपलिंग अभियान को पीलिया व डायरिया फैलने का इंतजार, गंभीर नहीं चिकित्सा विभाग

– 15 ब्लॉक की एएनएम नहीं ले रही घर-घर जाकर पानी के सैंपल

जोधपुरMay 24, 2018 / 02:49 pm

Jitendra Singh Rathore

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पानी सैंपलिंग अभियान को पीलिया व डायरिया फैलने का इंतजार, गंभीर नहीं चिकित्सा विभाग

– दूषित पानी को लेकर गंभीर नहीं चिकित्सा विभाग

जोधपुर . ब्लॉक स्तर पर पानी सैंपलिंग अभियान फेल होता नजर आ रहा है। ग्रामीण स्तर पर इसकी सैंपलिंग की जिम्मेदारी एएनएम की है, लेकिन एएनएम ग्रामीण क्षेत्रों के घर-घर तक नहीं पहुंच पा रही। पानी की सैंपलिंग के अभियान को लेकर सीएमएचओ के आंकड़े बेहद चौंका देने वाले हैं। जनवरी से अब तक 18 सप्ताह में हर हफ्ते चले पानी सैंपलिंग अभियान में 17 ब्लॉक में जोधपुर व बनाड़ ब्लॉक ने मिलाकर 327 पानी के नमूने लिए हैं। इसमें से 20 सैंपल फेल हुए हैं, लेकिन बाकी बचे 15 ब्लॉक का रिपोर्ट कार्ड नहीं के बराबर है। यानी इन 18 हफ्तों में 15 ब्लॉक की एएनएम ने पानी की सैंपलिंग का कोई काम ही नहीं किया।

फंड हाथ से जाते ही ढीला पड़ा अभियान

जिला व सैटेलाइट अस्पतालों के मेडिकल कॉलेज के अधीन चले जाने के बाद सीएमएचओ के हाथ से इन अस्पतालों के संचालन लिए मिलने वाला फंड भी चला गया, इसलिए इस अभियान की पकड़ ग्रामीण क्षेत्रों में कमजोर हो गई है। उधर, चिकित्सा विभाग का मानना है कि जलदाय विभाग अपने स्तर पर पानी के सैंपल लेता है, लेकिन जब पीलिया या डायरिया के मरीज सामने आते हैं, तभी चिकित्सा विभाग की टीम सैंपलिंग करने पहुंचती है।
बीसीएमओ की अनदेखी, नहीं आ रहे परिणाम

बीसीएमओ की अनदेखी का ही नतीजा है कि ब्लॉक स्तर पर घर-घर पानी की सैंपलिंग में 15 ब्लॉक फिसड्डी साबित हो रहे हैं। सूत्रों की माने तो स्वास्थ्य विभाग ने एएनएम को सैंपलिंग बढ़ाने के लिए दिशा निर्देश जारी किए हैं।
अभी सैंपलिंग में आई है थोड़ी कमी

अभी पानी की सैंपलिंग में थोड़ी दिक्कत आई है। मंडोर में पानी की टेस्टिंग की लैब अपने पास थी। अब मेडिकल कॉलेज के पास चली गई, फिर भी 20-30 सेंपल तो ले ही रहे हैं। निदेशक ने मीटिंग में भी लू तापघात को देखते हुए सैंपलिंग में तेजी लाने के भी निर्देश दिए हैं। अभी तक तो यही है कि सैंपल टेस्टिंग के लिए भेज देंगे। वैसे जलदाय विभाग तो सैंपल लेता है। हमारा रोल तो डायरिया और पीलिया मरीज के सामने आने पर सैंपल लेना होता है। आमतौर पर इनके मरीज सबसे ज्यादा मई जून में ही आते हैं।
डॉ. एसएस चौधरी, सीएमएचओ

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