अपने बिछुड़े साथी की आवाज सुनी, तो तत्काल नीचे उतर आई कुरजां
महेश कुमार सोनी
फलोदी. हर साल शीतकालीन प्रवास पर खीचन आने वाले मेहमान पक्षी यूं तो पर्यटकों के लिए काफी खास है, लेकिन इस बार खीचन पंहुचे पहले जत्थे ने अपनेपन की तस्वीर पेश की। जब खीचन के विजयसागर तालाब पर पिछले करीब छ: माह से बिछुड़कर अकेली बैठी कुरजां ने अपने साथियों को आसमान में उड़ते देख तीव्र आवाज लगाई तो आसमान में उड़ रहे कुछ पक्षी तालाब पर उतर आए। कुरजां यहां प्रवास पंहुचने के करीब एक सप्ताह तक नीचे नहीं उतरती है, लेकिन अपने साथी की आवाज सुनने के बाद पक्षी खुद को रोक नहीं पाए।
जोधपुर•Sep 07, 2019 / 04:14 pm•
Mahesh
फलोदी. खीचन तालाब पर बेठे कुरजां पक्षी
प्रत्यक्षदर्शी पक्षीप्रेमी सेवाराम माली ने बताया कि आज दोपहर करीब १२.२० बजे कुरजां का पहला जत्था आसमान में उड़ते हुए यहां शीतकालीन प्रवास पर पंहुचने के बाद अपने पड़ाव स्थलों की जांच पड़ताल कर रहा था। इस दौरान जैसे ही यह जत्था विजयसागर तालाब पर के ऊपर से गुजरा तो वहां पीछे रही एक कुरजां ने तीव्र ध्वनि में कुर्र-कुर्र जैसी आवाज निकाली। इस आवाज को सुनकर जत्थे के कुछ पक्षी नीचे उतर आए और पीछे रही कुरजां के पास जाकर काफी देर तक पक्षी जांच-पड़ताल करते नजर आए। इसके बाद दो कुरजां ने काफी समय इस कुरजां के साथ बिताया। उन्होंने बताया कि सामान्यतया कुरजां यहां पंहुचने करीब एक सप्ताह तक नीचे नहीं उतरती है, लेकिन आज अपने साथी पक्षी की आवाज सुनकर कुछ पक्षी नीचे उतर गए।
पीछे रही कुरजां का रंग हो गया गहरा-
गत शीतकालीन प्रवास के बाद जब कुरजां ने वतन वापसी की तो ५-६ कुरजां अस्वस्थता या अन्य कारणों से अपने समूहों से बिछुड़ गई थी और यहीं रह गई थी। कुछ समय तक तो ५-६ पक्षी नियमित रूप से तालाब पर विचरण कर रहे थे, लेकिन उसके बाद सिर्फ एक कुरजां ही नजर आ रही थी। यहां भीषण गर्मी मार झेलने के कारण इस कुरजां का रंग अन्य पक्षियों की तुलना में गहरा हो गया है। अब कुरजां का शीतकालीन प्रवास शुरू होने से इस अकेली कुरजां को अपने साथी मिल गए है। (कासं)
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