सनसेट पाइंट पर लगी कई बैंचें टूट चुकी हंै। कई महिनों से खस्ताहाल पड़ी बैंचों के कारण लोगों को दीवार पर ही बैठना पड़ रहा है। लोगों ने बताया कि कुछ बैंचें तो समय के साथ क्षतिग्रस्त हो गई वहीं कुछ को वानरों ने उछल-कूद कर तोड़ दिया। नियमित साफ-सफाई नहीं होने के कारण मंदिर परिसर के पीछे व सनसेट पाइंट पर गंदगी पसरी रहती है। मंदिर में प्रसादी सहित अन्य आयोजनों पर लोग स्वयं ही सफाई करते हैं। कचरा पात्र नहीं होने के कारण भी घूमने आने वाले कचरा यहीं फैंक देते हैं।
पहाड़ी पर स्थित होने के कारण पहले यहां पानी पंप हाउस से दबाव से ऊपर पहुंचता था। पंप व लाइन में खराबी के कारण कई महिनों से यहां पानी की सप्लाई बंद है। सप्लाई के अभाव में पानी का टैंकर मंगवाना पड़ता है। ऊंचाई पर होने के कारण पानी का एक टैंकर पहुंचाने के टैंकर वाला पांच सौ रुपए लेता है। मंदिर पुजारी ने बताया कि एक टैंकर का पानी मुश्किल से सप्ताह भर चलता है।
सनसेट पाइंट पर सूर्यास्त के बाद यहां लोगों को अन्य अव्यवस्थाओं के साथ अंधेरगर्दी का सामना भी करना पड़ता है। लाइट्स के टूटने के कारण शाम की आरती के बाद यहां लोगों व महिलाओं को अंधेरे में ही पहाड़ी से नीचे उतरना पड़ता है। बंदरों की भागमभाग के कारण बिजली के तार टूट जाते हैं। ऐसे में यदि जमीन के नीचे तारों को बिछाते हुए जाली में लाइट्स को ढक दिया जाए तो यह स्थान रोशन हो सकता है।
मंदिर परिसर के पीछे बने सनसेट पाइंट के एक कोने की दीवार पर लगी रेलिंग टूट गई है। करीब 2-3 फुट की ऊंचाई वाली इस दीवार के पीछे गहरी खाई है। बैंचें टूटी होने के कारण आने वाले लोग इन दीवारों पर बैठकर ही सूर्यास्त का नजारा देखते हंै। दीवार की क्षतिग्रस्त रेलिंग के कारण कभी भी फिसलने से हादसा हो सकता है। बच्चों के साथ आने वाले परिजनों को इस दौरान विशेष सावधानी बरतनी पड़ती है।
पहाड़ी पर स्थित बालाजी मंदिर के कारण मंगलवार को श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है। कई सालों पुराने इस मंदिर से चौपासनी गांव, बाइपास रोड, उम्मेद सागर सहित सूर्यास्त का मनोरम दृश्य दिखाई देता है। इस क्षेत्र के लोगों की आस्था व श्रद्धालुओं के सहयोग से धीरे धीरे यह मंदिर परिसर विकसित होता गया। अब नगर निगम की ओर से समय पर देखरेख नहीं होने के कारण यह सनसेट पाइंट विकसित होने से पहले ही लोगों का आकर्षण खो रहा है।
यहां से सूर्यास्त के मनोरम दृश्य को देखते हुए नगर निगम ने इसे सनसेट पाइंट के रूप में विकसित करने की योजना बनाई थी। प्रशासन की ओर से ध्यान नहीं देने के कारण यहां श्रद्धालुओं को ही सफाई करनी पड़ती है। पानी सप्लाई बंद होने के कारण हर सप्ताह पांच सौ रुपए देकर टैंकर मंगवाना पड़ता है
– पंडित पीरदास, पुजारी।
– दुर्गसिंह राठौड़।
ैै- लक्ष्मणराम।