लगभग एक वर्ष से भी अधिक समय से एम्स परिसर व इससे आगे की तरफ जाने वाले मार्ग पर सड़क किनारे ही नाला कई जगहों से खुला पड़ा है। जो हादसे को न्योता दे रहे हैं, क्योंकि यहां न तो चेतावनी बोर्ड लगा है, न इन्हें ढकने के लिए कोई सरकारी प्रयास। यहां से गुजरने वाले वाहन चालक तनिक भी ध्यान चूकते ही इस नाले में गिरकर चोटिल हो सकते हैं। नाले को ढकने के लिए जागरुक लोगों ने कई बार शिकायतें भी की, लेकिन प्रशासन कोई परवाह नहीं कर रहा है।
बासनी औद्योगिक क्षेत्र की फैक्ट्रियों से निकलने वाले प्रदूषित पानी की निकासी के लिए बनाया गया नाला लगभग पंद्रह से अधिक वर्षों से खुला पड़ा है। इसके रखरखाव की जिम्मेदारी रीको की है, लेकिन अधिकारियों को अपने कमरों से बाहर आने की फुर्सत तक नहीं है। ऐसे में इस नाले को ढकने के लिए न तो कोई प्लान बन रहा है, न रीको की ओर से कोई प्रयास। बासनी क्षेत्र की औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला प्रदूषित पानी इसी नाले से होकर बासनी, सरस पशु आहार, केके कॉलोनी के रास्ते सालावास, जोजरी नदी की तरफ जाता है। इन सभी कॉलोनियों में नाला ढका हुआ नहीं होने के कारण पूर्व में भी एक मासूम की नाले में बहने से मौत हो गई थी।
बारिश के मौसम में नाले को नहीं ढकने से बासनी क्षेत्र की नई कॉलोनी, संजय कॉलोनी, चार दुकान, इंदिरा नगर, केके कॉलोनी, मोती नगर, गंगा विहार सहित कई कॉलोनियों में नालों का पानी ओवरफ्लो होकर कॉलोनियों में घुस जाता है। इससे इन कॉलोनियों में बाढ के हालात हो जाते हैं। इन कॉलोनियों में रहने वाले लोगों की ओर से कई बार रीको को शिकायत देकर नालों को ढकने की मांग की गई, लेकिन रीको के अधिकारी ध्यान नहीं देते हैं। ऐसे में बारिश के मौसम में इन कॉलोनियों में फिर से खतरे के बादल मंडराने लग गए हैं।