हर साल जिले में घायल वन्यजीवों की संख्या
वर्ष 2018-19-2040 वर्ष 2019-20-1867
वर्ष 2020-21-1128 (अक्टूबर तक) यह भी कारण
प्राकृत आवास में लगातार कमी से वन्यजीवों के विचरण में कमी से हरिणों की शारीरिक क्षमताएं भी प्रभावित होने के साथ उपलब्ध भोजन में भी कमी आई है ।
-खेतों पर कंटीली तारबंदी के चलते हरिण आसानी से हिंसक श्वानों की जद में आकर मौत का शिकार हो रहे है । -परम्परागत भोजन में कमी के चलते वन्यजीवों का पलायन
-असंरक्षित क्षेत्र में पलायन प्रवृत्ति के चलते हर साल एक हजार से अधिक वन्यजीव घायल हो रहे है। औसतन प्रतिवर्ष 600 से अधिक वन्यजीवों की होती है मौत
समय रहते चेतने की जरूरत वन्यजीवों के संरक्षण के लिए प्रत्येक तहसील स्तर पर राजस्व गांवों में खाली पड़ी गोचर भूमि क्षेत्र को चिंकारा संरक्षण पार्क में विकसित कर उचित सुरक्षा एवं संरक्षण प्रदान कर वन्यजीवों को मौत के मुंह में जाने से बचाया जा सकता है । इससे इॅको टूरिज्म को भी बढ़ावा मिल सकता है। यह कार्य सरकार के सहयोग समय पर हो तभी वन्यजीवों का वजूद बच सकता है।
रामपाल भवाद, प्रदेशाध्यक्ष, विश्नोई टाइगर्स वन्य एवं पर्यावरण संस्था