शहरी सरकार में पालिकाध्यक्ष का पद ओबीसी महिला के लिए आरक्षित होने के साथ कुल पैंतीस वार्डों में बारह क्षेत्र सामान्य, ओबीसी व एससी महिला के लिए आरक्षित हैं। फिर भी प्रत्याशी चयन हो या दावेदारी, इन से महिलाओं को अब तक दूर ही रखा गया हैं।
ऐसे में संवैधानिक व्यवस्था के बावजूद भी आधी आबादी कठपुतली बन कर रह गई। विशेष बात ये हैं कि आधी आबादी को राजनीतिक दलों ने भी भागीदारी से दूर रखते हुए पर्यवेक्षक, चुनाव प्रभारी नियुक्त करने से भी परहेज किया हैं। जबकि भारतीय संविधान में महिलाओं को समान प्रतिनिधित्व के साथ भागीदारी पर बल देते हुए महिला स्वतंत्रता, सशक्तीकरण को प्राथमिकता से लागू करने के प्रावधान को भी नजरअंदाज किया गया हैं।
घर से निकलेगी आज
शहरी सरकार में अपनी दावेदारी को लेकर महिला प्रत्याशी सोमवार को नामांकन दाखिले के लिए सोमवार को घर से बाहर निकलेंगी, क्योंकि रिटर्निंग अधिकारी के समक्ष प्रत्याशी की अनिवार्य उपस्थिति का नियम होने के कारण नामांकन दाखिल करना होता हैं।
गत पालिका बोर्ड में भी तैतीस प्रतिशत महिला पार्षद रही, शहर में तीन दर्जन से अधिक पूर्व पार्षद महिलाएं होने के बाद भी सक्रिय राजनीति में भागीदार नही हैं। अधिकतर निर्वाचित महिला पार्षद सिर्फ पालिका बोर्ड की बैठक तक सीमित रही हैं।उनके अन्य कार्य पति, पुत्र, पिता, ससुर, जेठ, देवर ही बतौर पार्षद पार्टी बैठक, सार्वजनिक व स्वागत समारोह में नजर आते रहे हैं।
शहर में रहा महिला राज
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के शासनकाल में मुख्यमंत्री गहलोत के दूसरे घर मे महिलाओं का दबदबा रहा। एक समय उपजिला मजिस्ट्रेट कंचन राठौड़, पुलिस उपाधीक्षक प्रशिक्षु प्रेम धणदे, पंचायत समिति प्रधान इन्दिरा मेघवाल, विकास अधिकारी चिदम्बरा परमार, मंडी सचिव आरती के साथ पुलिस थाना में उपनिरीक्षक सीमा जाखड़, माया पंडित कार्य कर चुकी हैं। पूर्व पालिकाध्यक्ष लक्ष्मी देवी टाक, पालिका में नेता प्रतिपक्ष रही लक्ष्मी कच्छवाह ने स्वतंत्र रूप से कार्य करते हुए शहर में अपनी अलग पहचान बनाई। जो अब इतिहास बन रहा गया हैं।
नामांकन में सोशल डिस्टेंस
पीपाड़सिटी पालिका चुनाव के लिए सोमवार से नामांकन प्रक्रिया को देखते हुए रिटर्निंग अधिकारी कार्यालय में कोरोना कहर के चलते सोशल डिस्टेंस को सख्ती से लागू करने की व्यवस्था की हैं। इसमें अनिवार्य मास्क लगाने, खुले में नहीं थूकने के साथ धारा 144 लागू होने के कारण अधिक लोगों की उपस्थिति पर रोक हैं, इसके साथ जुलूस के रूप भी कोई दावेदार नही आ सकेगा।
इन्होंने कहा लोकतंत्र में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी को लागू करने से ही महिला सशक्तीकरण का सपना साकार होने के साथ जागरूकता आ सकेगी। -संगीता बेनीवाल, अध्यक्ष, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग,जयपुर।
राजनीति में स्वतंत्र कार्य करने वाली महिलाओं ने अपनी योग्यता से समाज के विकास के साथ नई दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए क्षेत्र का नाम रोशन किया।
-मुन्नीदेवी गोदारा, पूर्व जिला प्रमुख, जोधपुर।