– तंबाकू में मादकता या उतेजना देने वाला मुख्य घटक निकोटीन होता है। तंबाकू में अन्य बहुत से कैंसर उत्पन्न करने वाले तत्व पाए जाते हैं।
-सिगरेट में 7000 से ज्यादा केमिकल्स होते हैं, जिनमें से तकरीबन 70 केमिकल्स कैंसर का कारण बनते है
-धूम्रपान एवं तंबाकू खाने से मुंह, गला, श्वास नली, फेफडोँ, खाने की नली, पेट, पेशाब की थैली का कैंसर होता है।
-दिल की बीमारियां , उच्च रक्तचाप , पेट के अल्सर , अम्लपित , अनिद्रा आदि बीमारियां होती है।
तंबाकू छोड़ने के फायदे
-चाहे कितने भी समय से आप तम्बाकू क्यूं न ले रहे हो, इसे छोड़ा जा सकता है। अगले 5 साल में फेफड़ों के कैंसर की संभावना 50 प्रतिशत कम हो जाती है और अगले 10 साल में यह संभावना एक सामान्य व्यक्ति के बराबर हो जाती है।
-साथ ही साथ पैसे की भी बचत होती है, जिसे आप अपने और परिवार के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
यूं बचें और लत छोड़े
– सिगरेट, बीडी, एवं अन्य तम्बाकू उत्पादों को छोड़ने पर कुछ देर के लिए बेचैनी, धडकन बढना, नींद ना आना, ज्यादा पसीना आना व सिरदर्द आदि लक्षण उत्पन्न होते हैं।
– नशा छोड्ने का मन से निश्चय करें। नशा छोडने की तारीख़ पक्की करें।
– यदि नशा एक बार मेँ झटके से छोड्ना मुश्किल लगे तो धीरे-धीरे मात्रा कम करते हुए छोड़ें।
– सभी मित्रोँ, परिचितों को बता दें कि आपने नशा छोड दिया है, ताकि वे आपको बाध्य ना करें।
– डायरी लिखें कि आप कब और कितनी मात्रा मे नशा करते हैं,क्या कारण है, जो आपको नशा करने के लिए प्रेरित करते हैं।
– अपने पास सिगरेट, गुटखा, तम्बाकू एवं माचिस आदि रखना छोड दें।
– जब छोड़ने पर शुरु में इच्छा हो तो आप कुछ देर रूक जाएं। इस दौरान आप कोई ऐसा कार्य करने लगें,जो आपको पसंद हो।
– जेब में चिल्लर मत रखें, एक मनीबॉक्स बनाएं और जब भी सिगरेट पीने की इच्छा हो, जितने की सिगरेट है, उतने पैसे उस बॉक्स में डाल दें।
– सफल लोगों के बारे में पढ़ें एवं सीखे, जो पहले सिगरेट का सेवन करते थे, बाद में छोड़ दीं।
– मनोचिकित्सक के परामर्श से इसका इलाज निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरेपी (च्वींगम, लोजेंजेस, पेत्च,स्प्रे), दवाइयाें से किया जा सकता है।
(एम्स जोधपुर के मनोचिकित्सा विभाग के डॉ. नवरतन सुथार,डॉ नरेश नेभिनानी और रेडिएसंस ओंकोलॉजी के डॉ. पुनीत पारीक से बातचीत पर आधारित)