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कांकेर

बच्चों को छाता लाना है बेहद जरूरी, फिर हर दिन ऐसे शुरू होती है पढ़ाई

Chhattisgarh govt School: ऐसे में जो बच्चे छाता लेकर स्कूल आते हैं वे ही पढ़ाई कर पा रहे हैं।

कांकेरAug 02, 2019 / 07:26 pm

चंदू निर्मलकर

CG News

बच्चों को छाता लाना है बेहद जरूरी, फिर हर दिन ऐसे शुरू होती है पढ़ाई

कांकेर/पखांजूर. बच्चों को बेहतर शिक्षा (Education) देने के लिए शासन हर साल करोड़ों रुपए खर्च कर रहा है। नए सत्र में सरकारी स्कूलों (Chhattisgarh govt school) की स्थिति जस की तस है। आलम ऐसा है कि बच्चों को जर्जर भवनों में पढ़ाई करने को मजबूर हैं। वहीं, बरसात के मौसम (Monsoon) में सरकारी स्कूल (School) भवन तालाब में तब्दील हो जाता है। स्कूल भवन में बच्चों को बैठने के लिए जगह नहीं मिलती। ऐसे में जो बच्चे छाता लेकर स्कूल आते हैं वे ही पढ़ाई कर पा रहे हैं।
प्राथमिक व माध्यमिक शालाओं की हालत खराब है। ऐसे में बच्चों को बेहतर शिक्षा जैसे शब्द कागजों में सिमटकर दिख रहा है, न सरकार ध्यान दे रही न ही प्रशासन सक्रिय नजर आ रहा है। मजबूरी में चिहिरी पारा में प्राथमिक और माध्यमिक शाला के छात्र छाता लगाकर कभी-कभी पढ़ाई पूरी करते हैं।
बता दें कि बांदे मुख्यालय से कुछ ही दूरी पर चिहिरी पारा में प्राथमिक और माध्यमिक शाला भवन का खस्ता हाल है। स्कूल भवन की स्थिति खराब है। बरसात में स्कूल भवन के कमरे में पानी भर जाता है। बच्चों को खड़े होकर पढ़ाई करना पड़ता है। लगातार शिकायत के बाद भी प्रशासन के कानों पर जूं तक नही रेंग रहा है। शायद प्रशासन कोई बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है।
स्कूल की ऐसी स्थिति है कि कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। हर साल बरसात के समय शिक्षकों के साथ साथ बच्चों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। बच्चे छत के नीचे बैठकर पढ़ाई करें या उसी छत के पानी के नीचे छाता लगाकर शिक्षा प्राप्त करें, इस स्कूल में छात्रों को यही मजबूरी है। पत्रिका टीम ने पड़ताल किया तो शौचालय की व्यवस्था भी स्कूल में आधी अधूरी दिख रही थी।
शौचालय का मुकम्बल व्यवस्था नहीं होने के कारण छात्र-छात्राओं को जंगल का सहारा लेना पड़ रहा है। कई बार स्कूल को लेकर कलक्टर तक शिकायत पालक और शिक्षक कर चुके हैं। बावजूद ध्यान नहीं दिया जा रहा है। हर साल बरसात के समय इस स्कूल के बच्चे या तो छाता लगाकर पढ़ाई पूरी करते हंै या रेनकोट पहन का स्कूल आते है। अब ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा कि इस बारिश के मौसम में प्रशासन बच्चों के लिए कैसी व्यवस्था कर पाएगा, तो क्या यहीं शिक्षा का अधिकार है।

माध्यमिक शाला में तो मरम्मत का कार्य हुआ है पर कोई फर्क नहीं दिख रहा है। पहले भी पानी टपकता था आज भी वही हाल है। मरम्मत में भी घटिया कार्य हुआ है। बारिश के मौसम में सबसे अधिक परेशानी है।
सपन मंडल, शिक्षक
इस बारिश के मौसम में स्कूल भवन से पानी टपक रहा है। छत से टपक रहे पानी में बच्चों को कितनी परेशानी होती होगी खुद बच्चों से जानकारी ले सकते हैं। हम तो अफसरों को अवगत करा चुके हैं।
चपला बैरागी, शिक्षिका

आप सही बता रहे रहे हैं। प्राथमिक और माध्यमिक शाला के भवन खराब हो चुके हैं। बारिश के मौसम में पानी टपकता है। मैं भी कई बार अधिकारियों को बचा चुका हूं। इस साल भी जानकारी दूंगा।
रिंटू मजूमदार, संकुल समन्वयक

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