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कांकेर

करोड़ों की स्वीकृति होने के बाद भी निर्माण कार्य वर्षों से नहीं हुए पूरे

एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना मद में करोड़ों रुपए की स्वीकृति होने के बाद भी वर्षों से निर्माण कार्य अधर में लटके पड़े हैं।

कांकेरSep 24, 2018 / 05:10 pm

Deepak Sahu

chhattisgarh

करोड़ों की स्वीकृति होने के बाद भी निर्माण कार्य वर्षों से नहीं हुए पूरे

कांकेर. छत्तीसगढ़ के एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना मद में करोड़ों रुपए की स्वीकृति होने के बाद भी वर्षों से निर्माण कार्य अधर में लटके पड़े हैं। विभागीय उदासीनता के कारण कार्य पूरे नहीं हो रहे हैं। जबकि परियोजना मद से आबंटित कार्यों के लिए बतौर निर्माण एजेंसी जनपद पंचायतों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। कांकेर में परियाजना मद से दुर्गूकोंदल, भानुप्रतापपुर, कांकेर, चारामा और नरहरपुर ब्लॉक में विकास कार्य के लिए केंद्र से बजट मिलता है। अंतागढ़ व कोयलीबेड़ा नारायणपुर परियोजना क्षेत्र से जुड़े हुए हैं।


भानुप्रतापपुर में परियोनजा का दफ्तर है।विभाग से मिले कार्यों के दस्तावेज के अधार पर दुर्गूकोंदल ब्लॉक के हाटकोदल कन्या आश्रम शौचालय एवं स्नानागार के लिए शासन से पांच लाख रुपए मिला है।दमकसा प्री मैट्रिक कन्या छात्रावास में शौचालय एवं स्नानागार के लिए पांच लाख और दमकसा प्री मैट्रिक कन्या छात्रावास के आहाता निर्माण लिए 10 लाख मिलने के बाद भी काम पूरा नहीं हो पाया है। नरहरपुर ब्लॉक के चवांड़ प्री मैट्रिक कन्या छात्रावास आहाता निर्माण के लिए 10 लाख, मरकाटोला और निशानहर्रा कन्या छात्रावास में शौचालय एवं स्नानागार का भी निर्माण कार्य अधर में लटका पड़ा है। इसी तरह से भानुप्रतापपुर ब्लॉक के कुड़ाल, बयानार, संबलपुर, तरांदुल औरा भानुप्रतापपुर कन्या आश्रम छात्रावासों में शौचालय एवं स्नानागार निर्माण के लिए शासन से 25 लाख मिलने के बाद भी कार्य अधर में बताए जा रहे हैं।

चारामा ब्लाक के कुर्रुटोला, कोटेला कन्या एवं सिरसिदा बालक छात्रावास में शौचालय एवं स्नानागार के लिए मिले 15 लाख के बजट का काम भी पूरा नहीं होना बताया जा रहा है। कांकेर ब्लॉक में चार लाख परियोजना मद से मिलने के बाद खेलकूद प्रतियोगिता एवं खेल प्रोत्साहन पर खर्च नहीं होना दर्शाया जा रहा है।जबकि 2015 -16 में केंद्र से आदिवासी क्षेत्र के विकास के लिए करोड़ों का बजट स्वीकृति किया गया था।बजट प्राप्त होने के बाद भी अधिकांश कार्य वर्षों से अधर में लटके पड़े हैं। इसी तरह एक साल पहले पांचों ब्लॉकों में 21 -21 लाख के बजट से डेयरी खोलने के लिए किसानों को प्रोत्साहन दिया जाना था जो चार साल बाद भी अफसरों ने पूरा नहीं करा पाए।

जबकि आदिवासी क्षेत्र के विकास के लिए हर साल करोड़ों का बजट स्वीकृति होता है। निर्माण एजेंसी के तौर पर कार्य पूरा करने की जिम्मेदार लेने वाले अधिकारियों की अनदेखी से काम पूरा नहीं होने पर राशि वापस चली जाती है। केंद्र से यह मद सिर्फ आदिवासी क्षेत्र के विकास के लिए केंद्र से जारी होता है। केंद्र से करोड़ों का बजट मिलने के बाद भी समय पर उसका उपयोग नहीं करना जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही दर्शा रहा है। हालांकि इस संबंध में परियोजना अधिकारी भानुप्रतापपुर एवं बतौर कार्य कराने वाले अधिकारियों से संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन किसी ने फोन रीसिव नहीं किया।

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