सुबह उठकर प्रात:काल नहाकर तैयार हो जाते है और भक्त भूखे पेट भिक्षा मांगने निकल जाते है। कुछ शिव भक्त अकेला ही भिक्षा मांगते है तो कुछ ग्रुप में घुमते हुए भिक्षा मांगते हैं। भिक्षा से प्राप्त चावल अनाज से एक साथ इकठ्ठा पकाते हैं। यह लोग रात में एक पहर भोजन ले रहे हैं। शिव भक्त चैत्र माह में भौतिक सुख सुविधा को त्यागकर पूरे एक माह साधू सन्यासी जीवन व्यतीत करते हैं। गेरुवा वस्त्र धारण कर सुबह से शिवभक्त नीलपाठ को अपने सिर पर लेकर नृत्य करते हुए गांव, बाजार, मोहल्ले के हर घर घर दस्तक देते हैं। यह माना जाता कि नीलपाठ घर के आंगन में प्रवेश से सारे दुखकष्ट दुविधा का निवारण हो जाता है।