कन्नौज के मेंहदीघाट तट पर सुबह जो भी पहुंचा, वहां का नजारा देखकर वह चौंक पड़ा। गंगा का पानी पूरी तरह काला पड़ चुका था। उसके बहाव में मरी हुई मछलियां बहकर आ रही थीं। देखते ही देखते मरी हुई मछलियों का अम्बार लग गया। इनमें से सैकड़ों की संख्या में बड़ी और वजनी मछलियां भी शामिल थीं। गंगा तट पर हर तरफ मरी हुई मछलियों के ढेर लग गए। मरी हुई मछलियों का निवाला देखकर चील-कौओं का भी हुजूम उमड़ पड़ा।
लोग आशंका जाहिर कर रहे हैं कि पड़ोसी जिला हरदोई और शाहजहांपुर स्थित फैक्ट्रियों के कैमिकल युक्त जहरीले पानी ने गंगा का पानी दूषित किया है। घाट किनारे स्थित मंदिरों के पुजारियों ने बताया कि हरदोई में कुंडा के करीब स्थित फैक्ट्रियों का पानी वहां की गर्रा नदी में गिरता है। गर्रा बाद में गंगा में मिल जाती है, उसी से गंगा का पानी जहरीला हुआ है।
गंगा नदी में अचानक लाखों छोटी-बड़ी मछलियां मरने की सूचना से जिला प्रशासन के हाथ पांव फूल गये। मछलियों के मरने की सूचना पर जिला प्रशासन का पूरा अमला गंगा घाट पर पड़ताल के लिए पहुंच गया। साथ ही देहरादून से आई वन्य जीव संरक्षण विभाग के एक्सपर्ट व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पूरी टीम मौके पर पहुंच गई। टीम ने सैंपल भरकर आगे की कार्रवाई के लिए भेज दिया है।
जांच करने पहुंची नमामि गंगे की टीम के टीम लीडर डॉक्टर अजीत कुमार अवस्थी का कहना है कि मछलियों के मरने का कारण लैब टेस्टिंग के बाद स्पष्ट हो पाएगा। कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि रविवार को आये आंधी तूफान में कहीं न कहीं जहरीला पदार्थ या केमिकल गंगा में आ जाने से मछलियां मरी हैं। घटना के बाद से गंगा नहाने आने वाले श्रद्धालुओं दहशत में है।