इस बार का नगर निकाय चुनाव काफी सस्पेंस पैदा कर रहा है। बिना टिकट के ही मैदान में उतरने वालों को छोड़ दें तो किसी भी सियासी जमात ने अब तक अपना पत्ता नहीं खोला है। सूबे की सत्ता पर काबिज भाजपा भी निकाय चुनाव को लेकर उम्मीदवारों के नाम पर कोई फैसला नहीं कर पा रही है। और ना ही अपने समाजवादी गढ़ में समाजवादी पार्टी को ही कोई जिताऊ चेहरा मिल पा रहा है।
बसपा और कांग्रेस भी अपना-अपना पत्ता नहीं खोल सकी है। यहां यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि हर दल के पास टिकट लेने के लिए दावेदारों की लंबी लाइन लगी है। ऐसे में किसे टिकट दें और किसे नाराज करें, यह कोई भी पार्टी तय नहीं कर पा रही है। दावेदारों की जामातों की इस भीड़ में चुनाव लड़ने वाले दावेदारों की धुकधकी बढ़ गई है। उनके समर्थकों को भी कुछ समझ में नहीं आ रहा है। हालांकि सियासी जानकार यही बता रहे हैं कि अगले 2 से 3 दिनों में चेहरे सामने आने लगेंगे।
सियासी जानकारों की मानें, तो ऐसा नहीं है कि पार्टियां अपना उम्मीदवार घोषित करने में कोई कोताही बरत रही है। टिकट की लिस्ट तय हो चुकी है। बल्कि देरी इसलिए की जा रही है क्योंकि सभी इस कोशिश में है कि पहले एक पार्टी अपना चेहरा घोषित करें तब जाकर दूसरी पार्टी जाति कार्ड के तहत अपने प्रत्याशियों के नाम का पत्ता खोले। यह हाल कमोबेश सभी पार्टियों का है। चाहें सपा हो, या बसपा, या फिर कांग्रेस, या भाजपा सभी की निगाहें जिताऊ कैंडिडेट पर हैं। इस बार सभी पार्टियां अपने-अपने सिंबल पर निकाय चुनाव लड़ेगी।
सपा के गढ़ में भाजपा ने कर रखी है सेंधमारी यह सपा का गढ़ माना जाता है, जबकि पिछले बड़े चुनाव में यहां भाजपा ने अच्छी सेंधमारी की है। यही वजह है कि सपा और भाजपा इन दोनों ही पार्टियों के लिए यहां का चुनाव प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ है। देखने वाली बात यह होगी कि यहां दोनों पार्टियां किस तरह के चेहरे को सामने लाती है और कौन सा प्लान लेकर मैदान में उतरेंगी।