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कानपुर

महिलाएं ज्यादा भावुक, लेकिन ऐसी स्थिति में मर्द ज्यादा करते हैं आत्महत्या

महिलाओं में आत्महत्या की प्रवृत्ति सात गुना ज्यादा, 30 फीसदी लोग मनोरोगी

कानपुरOct 10, 2019 / 02:04 pm

आलोक पाण्डेय

महिलाएं ज्यादा भावुक, लेकिन ऐसी स्थिति में मर्द ज्यादा करते हैं आत्महत्या

महिलाएं ज्यादा भावुक, लेकिन ऐसी स्थिति में मर्द ज्यादा करते हैं आत्महत्या

कानपुर। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी और बेहतर जीवन की कोशिश में व्यक्ति मनोरोगी होता जा रहा है। लगभग ३० फीसदी से ज्यादा लोग मनोरोग से घिरते जा रहे हैं और इसी के चलते उनमें अवसाद घर कर रहा है, जिस वजह से लोगों में आत्महत्या की प्रवृत्ति भी बढ़ रही है। पुरुषों के मुकाबले महिलाएं ज्यादा भावुक होती है, लेकिन इसके बावजूद आत्महत्या का प्रतिशत मर्दों में ज्यादा है। इसके पीछे भी खास वजहें हैं।
इन कारणों से घेर रहा मनोरोग
व्यक्ति के मनोरोगी होने के पीछे कई कारण हैं। डिप्रेशन, सीजोफ्रेनिया, बाइपोलर डिसआर्डर और ड्रग एडक्शिन की वजह से मनोरोग पनपता है। आज देश में हर चौथा व्यक्ति मनोरोगी है। कई मामलों में नाकामी और निराशा के चलते उनमें आत्महत्या की प्रवृत्ति जागती है। आंकड़ों के मुताबिक २०१९ में १२३३ मनासिक रोगी पंजीकृत किए गए हैं। जबकि पुराने मरीजों की संख्या २०५४ है। इनमें महिलाओं की संख्या ज्यादा है।
आंसू महिलाओं को करते शांत
मनोरोग विशेषज्ञों की मानें तो पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में आत्महत्या की प्रवृत्ति ज्यादा मिलती है। महिलाएं पुरुषों के मुकाबले ज्यादा भावुक होती हैं और उन पर समाज की उपेक्षा का ज्यादा असर होता है। हालांकि महिलाएं कई बार रोकर अपना मन शांत कर लेती हैं, लेकिन पुरुष ऐसा नहीं कर पाते। वे मर्द होने के कारण रो नहीं सकते और अवसाद में घिरते जाते हैं। आखिर में ऐसी स्थिति आ जाती है जब पुरुषों को खुद की जिंदगी खत्म करने के अलावा कोई रास्ता नहीं दिखता।
इलाज से रोग होता दूर
मनोरोग का इलाज है और दो से तीन महीने के इलाज से यह ठीक भी हो सकता है, पर जरूरत है इसे सही समय पर पहचानने की। अवसाद में घिरे व्यक्ति की पहचान समाज या परिवार के लोग कर सकते हैं और सही समय पर उसका इलाज शुरू कराया जा सकता है। तनाव बढऩे पर मनोरोग होता है, इसलिए ऐसे लोगों के प्रति सकारात्मक रवैया अपनाने से उन्हें मनोरोगी होने से बचाया जा सकता है।
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